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विषमता का विकास- सुषमा वर्मा

जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन  किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...

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दूध से मुनाफे की धार

मध्य प्रदेश के शिवपुरी की कुछ महिलाएं दूध की कंपनी बनाकर न सिर्फ खुद अच्छी कमाई कर रही हैं, बल्कि उन्होंने आसपास के गावों की महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया है। कंपनी बाजार में अपने मिल्क प्रोडक्ट्स उतारने के बारे में सोच रही है... 6,000 रुपये हर महीने कमा रही है, कंपनी से जुड़ी प्रत्येक महिला 30 महीने पहले...

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बिहार:चंदन ने गोबर से निकाली सीएनजी

नरकटियागंज : डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से परेशान किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब वे गोबर से उत्पादित होनेवाला बायो सीएनजी से ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरण चला सकते हैं. यह कारनामा किया है पश्चिमी चंपारण जिले के बढ़निहार गांव के एक युवा इंजीनियर ने. किसान विजय पांडेय के पुत्र चंदन पांडेय गोबर से सीएनजी का उत्पादन कर न केवल ट्रैक्टर चला रहे हैं, बल्कि...

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महिला सशक्तीकरण का माध्यम बना सोलर चरखा- पुष्यमित्र

पिछले दिनों 14वें वित्त आयोग की टीम झारखंड की वित्तीय जरूरतों का आकलन करने के लिए रांची आयी हुई थी. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से उन्हें रांची से पिस्का नगड़ीइलाके का भ्रमण कराया गया जहां वे उन महिलाओं से मिले जो सोलर चरखा की मदद से सिल्क का धागा तैयार कर रही हैं और इस प्रयास के जरिये ये महिलाएं अपने परिवार और गांव में खुशहाली ला रही हैं. जब...

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मर रहे हैं गांव, आर्थिक उन्नति की बात बेमानी : प्रो नवल किशोर

हिंदुस्तान की आत्मा गांव में बसती है. देश की उन्नति में गांव का अहम रोल रहा है. आज गांव की हालत क्या है? भूमि-विवाद, बिजली की कमी, सिंचाई के घटते साधन, पानी की कमी को ङोल रहे नहर, आहन, पईन. इन सबके बीच गांव की तासिर लगातार गिरती जा रही है. मूलभूत सुविधा ही जब गांव को नहीं मिलेगी तो हमारे गांव दूसरे प्रदेश के गांवों की तरह कैसे आर्थिक तौर पर...

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