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नकद पैसे का खेल- बनवारी

जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...

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राज्यों के तेवर देख केंद्र ने बदला रुख

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में बुधवार को राज्यों के तेवर देखकर केंद्र ने अपना रुख बदल लिया है। राज्यों की आशंका को खारिज करते हुए सरकार ने खाद्यान्न आवंटन में किसी भी तरह की कटौती से इंकार किया है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि विधेयक के प्रावधानों पर अमल में आने वाले खर्च में भी केंद्र हाथ...

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कर ढांचे की कमजोर कड़ियां- अभिनव श्रीवास्तव

जनसत्ता 8 फरवरी, 2013: बीते दिनों जब प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कर-अनुपात बढ़ाने के लिए अमीरों पर ऊंची दर से कर लगाए जाने की बात कही तो उनका यह बयान सीधे तौर पर दो घटनाओं से प्रभावित रहा होगा। पहली घटना का संबंध अमेरिका से है, जहां पिछले बीस सालों में पहली बार अमेरिकी सीनेट ने अमीरों पर कर बढ़ाने के प्रस्ताव को...

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आधार कार्ड यानी धोखे का आधार - सचिन कुमार जैन

आधार यानी विशेष पहचान के आधार को समझिए। लोगों को पहचान देने के नाम शुरू हुआ प्रयास महज 3 साल में ही लोगों के लिए विकास से बहिष्कार और योजनाओं से बेदखली का कारण बनने लगा। इसका मकसद सरकार के गरीबों पर किए जाने वाले खर्च को कम करना बन गया है और दूसरा मकसद है समुदाय को नकद धन देना ताकि वे बाज़ार को फायदे रोशन करें। जनवरी 2009...

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कैश ट्रांसफर पॉलिसी : अनाज नहीं, नकद खाएं - सचिन कुमार जैन

बड़ी हलचल है। प्रचार हो रहा है हम आधार से आपको पहचान देंगे और अब योजनाओं आपको परेशानी न होगी, क्योंकि अब आपको सेवाओं के बदले नकद राशि देंगे। आप पहचान के लिए विशेष पहचान क्रमांक लीजिए और हम आपको फायदा देंगे। रुकिए! यह भी जान लीजिए कि आधार पंजीयन का मतलब यह नहीं है कि आपको योजनाओं का लाभ मिल ही जाएगा। सच यह है कि अब आपने आपको...

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