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साठ खदानों के परिचालन पर लगी रोक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खनिज संपदा वाले झारखंड, उड़ीसा, गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में इंडियन ब्यूरो आफ माइंस [आईबीएम] ने 60 खदानों के परिचालन पर रोक लगा दी है। यह पाबंदी प्रस्तावित योजना के विरुद्ध खनन करने पर लगाई गई है। आईबीएम के विशेष कार्यबल-एक ने मार्च, 2010 तक विभिन्न राज्यों की 106 खदानों में दौरा कर खनन कार्यो का जायजा लिया। जांच में पता चला कि इनमें से आधी से ज्यादा संख्या में खदानों...

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फल-सब्जियों के दम पर चढ़ी खाद्य महंगाई

नई दिल्ली। बाजार में रबी की फसल आने के बावजूद खाद्य महंगाई चढ़ गई। एक बार फिर फलों और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के चलते 8 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 16.49 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले सप्ताह यह दर 16.44 प्रतिशत पर थी। दिसंबर, 09 में यही खाद्य मुद्रास्फीति 20 प्रतिशत के करीब पहुंच गई थी। विश्लेषकों का अनुमान है कि...

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खाद्य महंगाई बढ़कर 16.44 प्रतिशत हुई

नई दिल्ली। देश की वार्षिक खाद्य महंगाई दर गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एक मई को समाप्त हुए सप्ताह में बढ़कर 16.44 प्रतिशत रही। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य महंगाई की दर 16.04 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई की दर 17 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 16.61 प्रतिशत और 10 अप्रैल को समाप्त हुए हफ्ते में 17.65 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के आंकड़ों के...

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बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ

कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...

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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन

भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...

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