क्या कभी आपने सोचा कि देश के शहरों में झुग्गी बस्तियां कितनी हैं, उनमें रहने वाले कौन हैं और झुग्गी-बस्तियों में इनका रहना जीना कैसा है ?अगर नहीं, तो नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए! देश में तकरीबन साढ़े तैंतीस हजार झुग्गी-बस्तियों होने के अनुमान हैं, महज एक दशक यानी 2001 से 2011 के बीच झुग्गी-बस्तियों में दलित आबादी में 31 फीसद का इजाफा हुआ है. कुछ राज्यों की झुग्गी-बस्तियों की...
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देश में महिलाओं को अपना अभिभावक मानने वाले परिवार कितने हैं ?
अगर आयकर चुकाना आर्थिक बेहतरी का संकेत हो तो फिर अच्छी खबर यह है कि देश के ग्रामीण इलाके में महिलाओं की प्रधानी वाले तकरीबन 4 प्रतिशत परिवार सालाना आयकर चुकाते हैं. लेकिन इस खबर के आधार पर कोई भी राय बनाने से पहले तनिक रुककर नीचे लिखे तथ्यों पर एक नजर डालिए क्योंकि सिक्के का दूसरा पहलू भी है. जैसा कि सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना(एसईसीसी 2011) के तथ्यों से जाहिर है...
More »समृद्धि की शर्त समाज सुधार-- आकार पटेल
संयुक्त राष्ट्र प्रति व्यक्ति वार्षिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के हिसाब से देशों की एक सूची जारी करता है. इसमें भारत 150वें स्थान पर है. हमारी प्रति व्यक्ति सालाना जीडीपी 1,586 डॉलर है. इसका मतलब यह हुआ कि औसत भारतीय हर महीने 8,800 रुपये मूल्य का सामान और सेवाएं उत्पादित करता है. भारत से निचले स्तर पर खड़े देशों में यमन (1,418 डॉलर), पाकिस्तान (1,358 डॉलर), केन्या (1,358 डॉलर), बांग्लादेश...
More »नीलगाय मुद्दे पर आमने-सामने आए मोदी सरकार के दो ताकतवर मंत्री
जदयू ने नीलगायों को मारने के मामले में केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी पर अनावश्यक विवाद पैदा करने का आरोप लगाते हुए इसकी आलोचना की और बिहार के किसानों के हित में इस पशु को मारे जाने के कदम का समर्थन किया। जदयू प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने कहा, मेनका गांधी नीलगायों को मारने के मामले में अनावश्यक विवाद पैदा कर रही हैं। अगर...
More »यह कैसी शिक्षा व्यवस्था?-- अनुपम त्रिवेदी
पिछले दिनों जब एक न्यूज चैनल ने बिहार-बोर्ड के टाॅपर्स का साक्षात्कार किया, तो न केवल उन टाॅपर्स की, बल्कि पूरी शिक्षा-व्यवस्था की पोल-पट्टी खुल गयी. समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया तक बिहार के शिक्षा-तंत्र की बखिया उधेड़ दी गयी. राजनीतिक दलों ने भी इस मौके को खूब भुनाया. लेकिन, सब यह भूल गये कि बिहार का यह नंगा सच केवल बिहार का ही नहीं, बल्कि लगभग पूरे देश...
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