जनसत्ता 29 सितंबर, 2014: अगस्त 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करके तब के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जिस सामाजिक न्याय का ताना-बाना बुना था, उसके बिखरने में बस चंद वर्ष लगे थे। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह जनता दल को तोड़ कर अलग हो गए और मंडल के सबसे अधिक प्रभाव वाले क्षेत्र बिहार में उसके दो प्रतापी नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार...
More »SEARCH RESULT
अब अस्पतालों में दवाओं की कमी, सिर्फ 15 दिनों की दवा
पटना: राज्य के सरकारी अस्पतालों में भरती या इलाज करानेवाले मरीजों को अगले 15 दिनों के बाद अपने पैसे से दवाएं खरीदने की नौबत आनेवाली है. सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) तक में दवाओं का स्टॉक खत्म होने को है. अस्पतालों को दवा की आपूर्ति करनेवाली बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) के गोदाम में भी दवाओं की कमी का असर दिखने लगा है....
More »दवा घोटाला: छह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री घेरे में
पटना: दवा घोटाले में छह पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों से भी पूछताछ की जायेगी. इनमें शकुनी चौधरी, डॉ शकील अहमद, अब्दुल बारी सिद्दीकी, चंद्रमोहन राय, नंदकिशोर यादव व अश्विनी चौबे शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने सोमवार को कहा कि 2000 से अब तक के सभी स्वास्थ्य मंत्रियों के कार्यकाल में दवा खरीद की जांच होगी. ये सभी लोग 2000 के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. सूत्रों की मानें,...
More »पूत के पांव और सौ दिन सरकार के- योगेन्द्र यादव
"पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" वाली कहावत सुनकर मैं अक्सर सोचता हूं कि पालने में नामुराद पांव ही क्यों देखे जाते हैं? शायद, इसलिए कि पांव देखने से पूत के चाल-चलन का पता चलता है। भान होता है कि पूत के पांव आगे किस ओर जाएंगे, कहां रूके-टिकेंगे और कहां फिसलेंगे। चूंकि नई सरकार और उसके मुखिया ने अभी बस सौ दिन पूरे किए हैं, सो उसके...
More »न्यायिक स्वतंत्रता को खतरा- एम के वेणु
राज्य के नीति-निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 50 में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि उसकी स्वतंत्रता बनी रहे, जो संविधान के रखवाले की उसकी भूमिका के लिए आवश्यक है। अलबत्ता राज्य के हर अंग और लोकतंत्र के प्रत्येक सार्वजनिक पदाधिकारी की तरह न्यायपालिका भी एक संस्थान है और हर न्यायाधीश सार्वजनिक पदाधिकारी, जो राजनीतिक संप्रभुता-यानी जनता के प्रति जवाबदेह होता है। फर्क सिर्फ जवाबदेही...
More »