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सरकारी स्कूलों में उपस्थिति के दौरान 'यस सर' की बजाए बोलेंगे 'जय हिन्द'

सतना। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में अब होने वाली छात्र उपस्थिति का स्वरूप बदलेगा। अब बच्चे उपस्थिति के समय यस सर की बजाए जय हिन्द बोलते नजर आएंगे। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से सतना जिले में लागू होगी। इसके ठी एक माह बाद 1 नवंबर से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी। यह घोषणा अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान चित्रकूट से मंगलवार को वापस सतना पहुंचे प्रदेश...

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वायु प्रदूषण से परेशान दिल्ली की हवा यूं साफ करेगा 'नीरी'

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को बचाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के साथ अब राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (नीरी) भी आगे आया है। नीरी ने इसके लिए कई उपाय सुझाए हैं। इनमें सबसे अहम भारी भीड़-भाड़ वाले चौराहों पर एयर प्यूरीफायर यंत्र लगाने का है। जिसे नीरी ने वायु प्रदूषण के बढ़े स्तर को कम करने के लिए खुद...

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गोरक्षकों की कारगुजारियों का काला चिट्ठा खोल रहा विकिपीडिया

गूगल सर्च इंजन भूमंडलीकरण आैर डिजिटाइजेशन के इस युग में दुनियाभर के लोगों में काफी लोकप्रिय है. किसी भी चीज के बारे में जानकारी हासिल करनी हो, तो गूगल सर्च इंजन पर बनाया गया विकिपीडिया काफी उपयोगी साबित होता है. पहले विकिपीडिया गूगल की आेर से ही तैयार किया जाता था, लेकिन अब लोग खुद भी गूगल पर विकिपीडिया बना सकते हैं. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महारत हासिल करने वालों का...

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किसानी का तीर्थ बनता तिउसा गांव --- बाबा मायाराम

महाराष्ट्र का एक गांव है तिउसा। यवतमाल से सोलह किलोमीटर दूर। यह गांव किसानों के लिए तीर्थ बन गया है। तीर्थ जहां कुछ अच्छाई है, किसान जहां अपना भविष्य देख रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। खेती-किसानी की बारीकियां सीख रहे हैं। यहां के प्रयोगधर्मी किसान सुभाष शर्मा कई मायने में अनूठी खेती कर रहे हैं, जिसे वे सजीव खेती कहते हैं।     हाल ही मैं अपने कुछ...

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अकथ कहानी खेत की-- राकेश दीवान

जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...

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