नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सस्ते गल्ले की दुकानों से सबके लिए अनाज उपलब्ध कराने से सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है। विपक्ष की मांग को नकारते हुए कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने कहा कि सभी परिवारों को रियायती अनाज देने से खाद्य सब्सिडी बहुत बढ़ जाएगी, जिसका बोझ सरकार उठाने की हालत में नहीं है। सभी के लिए सस्ते गल्ले की दुकान यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] से अनाज देने पर सरकार को 7...
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नरेगा के कारण श्रमिकों के पलायन में कमी आई
नई दिल्ली। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [नरेगा] की वजह से गांवों से श्रमिकों के पलायन में कमी आने का दावा करते हुए सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश में इस योजना के तहत रोजगार प्राप्त करने वाले आदिवासियों के प्रतिशत में आई गिरावट इस योजना का दायरा बढ़ने की वजह से नजर आ रही है। ग्रामीण विकास मंत्री सी. पी. जोशी ने माकपा की वृंदा करात के पूरक प्रश्न के उत्तर में...
More »ई-कचरे पर नकेल कसने की तैयारी
नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। आलमारी या मेज की दराज में पड़े पुराने मोबाइल का क्या करें? पुरानी वाशिंग मशीन और फ्रिज को यूं कबाड़ी को तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन समझ नहीं आता कि इनका करें क्या? इलेक्ट्रानिक उपकरणों के बारे में ऐसे कई सवालों का जवाब आपको जल्दी ही मिल जाएगा। ई-कबाड़ पर नियमों की नई नकेल कसने की तैयारी कर रही सरकार अब यह सुनिश्चित करने जा रही है कि उपकरण बनाने और...
More »मणिपुर में मीडिया पर किसका दबाव
कोहिमा [एशिया डिफेंस न्यूज़ इंटरनेशनल]। मणिपुर में एक उम्मीद सी सुबह, अचानक मुझे पत्रकारों के परिचित भय ने घेर लिया। क्या मैं इतनी दूर [माओ गेट से इंफाल तक के नाम भर के राजमार्ग-39 पर यात्रा करके], एक कहानी की [दबाव झेलते उग्रवादी] तलाश में आया हूं? एक स्थानीय समाचारपत्र में 'आरपीएफ द्वारा पुलिस/सेना के दोहरेपन की भर्त्सना' शीर्षक से छपी एक खबर ने सारी बात कह डाली है। लगता है कि मणिपुर में प्रकाशन...
More »कहीं विलुप्त ना हो जाए आदिवासी संस्कृति
नई दिल्ली। अरविंद जयतिलक संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट आफ द वर्ल्ड्स इंडीजीनस पीपुल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातिया पूरे विश्व में अपनी संपदा, संसाधन और जमीन से वंचित व विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के झारखंड राज्य की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यहा चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारों परिवारों को आज...
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