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दूषित पेयजल: बिहार, बंगाल और यूपी आर्सेनिक मिले पेयजल से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य

जल-संसाधन मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश की सघन आबादी वाले आठ राज्यों में भूमिगत जल विषैले रसायन आर्सेनिक से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. रिपोर्ट में असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों पर विशेष चर्चा की गई है.   कुएं तथा चापाकल से लिए गये पानी के नमूने में आर्सेनिक की 0.01 से 0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर सांद्रता के आधार पर रिपोर्ट में देश के...

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सेहत के मानकों पर देश के सबसे पिछड़े 50 जिलों में एक है मुजफ्फरपुर !

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में अगर कोई बच्चा साफ-सफाई की कमी से होने वाली ‘डायरिया' जैसी आम बीमारी से पीड़ित हो तो इस बात की कितनी संभावना है उसे प्राथमिक उपचार के तौर पर जीवन-रक्षक घोल(ओआरएस) मिल जाये? बच्चों के तंत्रिका-तंत्र पर आघात करने वाली एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) सरीखी गंभीर बीमारी से बचाव और उपचार की व्यवस्था को पल भर भूल जायें और मुजफ्फरपुर जिले में मौजूद बुनियादी स्वास्थ्य-ढांचे की हालत का...

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बेरोजगारी दर कैसे 6.1 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकती है, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी श्रमबल सर्वेक्षण के नये आंकड़ों में बेरोजगारी दर के साल 2017-18 में 6.1 प्रतिशत होने की बात कही गई है लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित एक शोध-आलेख में आशंका जतायी गई है कि बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.(आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण की मूल रिपोर्ट के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)   ‘सर्जिकल स्ट्राइक ऑन एम्पलॉयमेंट: द रिकार्ड ऑफ द फर्स्ट...

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किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के फायदे बताने के लिए झारखंड के गांवों में खेती करेंगे कृषि विशेषज्ञ

रांची : जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है, देश और दुनिया में खेती योग्य जमीन (Agricultural Land) लगातार कम हो रही है. ऐसे में किसानों (Farmers) की आय (Income) बढ़ाना सरकार के सामने एक चुनौती है. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय (Farmers Income) दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए कई उपाय किये जा रहे हैं. झारखंड सरकार इन उपायों को लागू...

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गुजरात में बीते 30 सालों का सबसे भीषण सूखा

कच्छ/बनासकांठाः कच्छ और उत्तर गुजरात में आमतौर पर यह कहा जाता है कि हर तीन से चार साल में सूखा आम बात है लेकिन इन दोनों शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने इस तरह से जीवनयापन करना सीख लिया है, लेकिन इस साल की स्थिति अपवाद है. सरकार भी यह मानती है कि राज्य में मौजूदा सूखे की स्थिति बीते 30 सालों में सबसे ख़राब है. मानसून के दौरान कच्छ...

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