चंबल, मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिले में ऐसे 948 गांव हैं, जहां का सामाजिक व आर्थिक ताना-बाना जमीन में पड़ती गहरी दरारों के कारण पूरी तरह से बिखर चुका है। यहां की जमीन का रिकॉर्ड रखना सरकार के बस में नहीं है, क्योंकि पता नहीं कौन-सी सुबह किसका घर, खेत या सड़क बीहड़ की भेंट चढ़ जाए। लगभग 16.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले चंबल संभाग का कोई 20...
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रोजगार गारंटी का क्या विकल्प? - डॉ. भरत झुनझुनवाला
इसमें कोई संदेह नहीं कि मनरेगा के कारण गरीबों को बड़ी राहत मिली है। मनरेगा के लागू होने के बाद दो वर्षों के अंदर खेत मजदूरों की दिहाड़ी 120 रुपए से बढ़कर 250 हो गई थी। बिहार के श्रमिकों ने पंजाब जाना कम कर दिया था, क्योंकि उन्हें घर के पास रोजगार मिल रहा था, चाहे वह सीमित मात्रा में ही क्यों न हो। इस कार्यक्रम पर अब केंद्र सरकार...
More »बंपर उत्पादन के बाद भी खुले बाजार में बिकेगा धान
रायपुर(ब्यूरो)। राज्य सरकार ने आखिरकार स्पष्ट कर दिया कि इस साल किसानों से प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदेगी। इस लिहाज से करीब 58 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होने की संभावना है। बाकी बचा धान किसानों को या तो घर में ही स्टोर करना होगा या फिर राइस मिलर्स को खुले मार्केट में बेचना होगा। सरकार के इस कदम का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। पिछले साल धान...
More »डेढ़ करोड़ का पैकेज छोड़ बने किसान, अब विदेशों में एक्सपोर्ट होते हैं इनके अनार
कोलकाता के दीपक गोयल के सिर पर खेती का जुनून ऐसा चढ़ा कि वे सालाना डेढ़ करोड़ रुपए पैकेज की नौकर छोड़ किसान बन गए। दीपक ने खंडवा के बंजारी गांव के पास 100 एकड़ जमीन खरीदी। अनार के पौधे लगाए। छह साल कड़ी मेहनत की। एक-एक पौधे की देखभाल की। अब यह पौधे बेहतर क्वालिटी के अनार उगल रहे हैं। अनार विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है।...
More »शुद्ध अनाज चाहिए, तो मध्यप्रदेश के मंडला-डिंडौरी चले आइए
जबलपुर। पड़ोसी जिलों के खेतों से निकलने वाली राहर, कोदों-कुटकी, चावल और मक्का में किसी तरह का रसायन नहीं है। यह अनाज पूरी तरह से जैविक उत्पाद हैं। कुछ इस तरह की फसलों की पैदावार करने वाले मंडला और डिण्डौरी जिले देश में आर्गेनिक खेती के मामले में अव्वल बने हुए हैं। जिसके चलते प्रदेश सरकार ने इन जिलों को जैविक खेती का हब बनाने का फैसला लिया है। इसके बाद...
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