आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...
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अन्न स्वराज- वंदना शिवा
भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
More »पानी पर मनमानी- शिरीष खरे(तहलका)
राजस्थान के कई शहरों में लोगों को 24 घंटे पानी देने की तैयारी की जा रही है. मगर कहने में अच्छी लगने वाली यह योजना कार्यान्वयन के स्तर पर खामियों से भरी है. शिरीष खरे की रिपोर्ट खबर 24X7. बैंकिंग 24X7. पिज्जा 24X7. और अब इसी तर्ज पर राजस्थान के कई शहरों में 24 घंटे और सातों दिन पानी पिलाने का दावा किया जा रहा है. यह दावा राज्य सरकार...
More »बिजली संकट, अंधेरे में डूबे रहते हैं कस्बे-गांव
जयपुर. राजधानी सहित जिले के अन्य कस्बों व गांवों में लोगों को बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है।प्रदेश की बिजली उत्पादन इकाइयों के ढंग से काम नहीं करने से सैकड़ों कस्बे व गांव रात भर अंधेरे में डूबे रहते है। वहीं बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को भी दिक्कत हो रही है। जिले के सांगानेर, आमेर, बस्सी, कालवाड़, चौमूं, सांभर, फुलेरा, जोबनेर सहित कई इलाकों में लोगों को रात में परेशान...
More »गांवों की ‘डगर’ से 20 करोड़ की बिजली गायब!
बिलासपुर। बिजली विभाग के लिए जिले के ग्रामीण इलाकों में सप्लाई घाटे का सौदा साबित हो रही है। यहां के 1635 गांवों में हर महीने 12 करोड़ यूनिट बिजली की खपत है। रिकार्ड के मुताबिक इसमें से 7 करोड़ यूनिट बिजली रास्ते से ही गायब हो जाती है। सिर्फ 5 करोड़ यूनिट बिजली लोगों तक पहुंचती है। तुर्रा यह कि इसमें से महज 2 करोड़ यूनिट का ही बिल जमा किया जाता है।...
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