जनसत्ता 12 सितंबर, 2013 : सोलह दिसंबर के दिल्ली के चर्चित बलात्कार कांड की बाबत अदालती फैसला आ गया है। इस फैसले के बरक्स स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा ज्यों की त्यों जारी है। सारे समाज को उद्वेलित करने वाले इस कांड के बाद यौनहिंसा से संबंधित कानूनों की समीक्षा की जरूरत महसूस हुई और इसके लिए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में...
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यौन हिंसा की जड़ें- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 4 सितंबर, 2013 : कुछ दिन पहले जब मैंने मुंबई में एक तेईस वर्षीय फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पढ़ा, तो कुछ पुरानी घटनाएं सामने घूमने लगीं। यानी फिर से वही सब! करीब उनतीस साल की उम्र में छह दिसंबर, 1992 को जब मैं एक रिपोर्टर की हैसियत से उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना की खबर जुटा रही थी तो मुझ...
More »बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर
कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...
More »चल नहीं रेंग रहा साक्षरता कार्यक्रम
हर साल आठ सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सरकारी कार्यक्रम का आयोजन होता है. स्कूलों में प्रभात फेरी निकाली जाती है. बच्चों से नारे लगवाये जाते हैं- आधी रोटी खायेंगे फिर भी स्कूल जायेंगे. पत्ता-पत्ता अक्षर होगा हर कोई साक्षर होगा आदि-आदि. इसके बाद प्रखंड, जिला एवं राज्यस्तर पर सम्मेलन होता है. इसमें अफसर एवं नेता आते हैं. भाषण देते हैं. निरक्षरता को मानव समाज के लिए कलंक बताते...
More »कैसे थमेगी स्त्रीविरोधी हिंसा- विकास नारायण राय
जनसत्ता 2 सितंबर, 2013 : लैंगिक असमानता के जंगल में भेड़ियों का यौनिक हिंसा का खेल थमना नहीं जानता। तो भी एक अभिभावक की हैसियत से कोई नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी का ऐसे दरिंदों से वास्ता पड़े। स्त्री के विरुद्ध होने वाली घृणित यौनिक हिंसा की ये पराकाष्ठाएं किसी भी अभिभावक को वितृष्णा और असहायता से भर देंगी। मगर आसाराम पर लगे आरोप या मुंबई में फोटो-पत्रकार के साथ...
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