आज जब हम स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते हम यह पड़ताल करें कि देश की आजादी के महानायकों ने हमारे लिए जो स्वप्न देखे थे, वे कितने पूरे हुए। और यदि पूरे नहीं हुए हैं, तो आखिर हमसे गलतियां कहां हुई हैं? ऐसे में हमें सहज ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ध्यान आता है, जिन्होंने आजादी...
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सामाजिक न्याय के सवाल- योगेन्द्र यादव
अच्छा हुआ कि देश ने मंडल आयोग की रपट लागू करने की पच्चीसवीं वर्षगांठ को नजरंदाज कर दिया। अच्छा इसलिए नहीं, कि मंडल आयोग की रपट कोई मुसीबत थी, जिसे भुला देना ही भला है। मंडल आयोग देश में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम था। मगर, इसे बार-बार दोहराना हमें कुछ बासी और अप्रासंगिक सवालों की ओर ले जाता है। आज से 25 साल पहले 7...
More »2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन 4.66 फीसदी घटा
कमजोर मानसून एवं फरवरी-मार्च में बेमौसम बरसात के चलते भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में अनुमानित 4.66 प्रतिशत घटकर 25 करोड़ 26 लाख व 80 हजार टन रहा। फसल वर्ष 2013-14 (जुलाई-जून) में देश में खाद्यान्न की पैदावार 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन रहा था। खाद्यान्न भंडार में मुख्य हिस्सा गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का होता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश...
More »दुनिया के बाजार में बदलावों का दौर - डॉ. भरत झुनझुनवाला
विश्व अर्थव्यवस्था के मंदी में प्रवेश करने के संकेत मिल रहे हैं। चीन ने अपनी मुद्रा युआन का हाल में अवमूल्यन किया है चूंकि उस देश द्वारा बनाए गए माल की विश्व बाजार में बिक्री नहीं हो रही थी। युआन का मूल्य कम होने से अमेरिकी खरीदार के लिए चीन का माल सस्ता पड़ेगा। चीन को आशा है कि उसका माल सस्ता होने से बिक्री बढ़ेगी और वह मंदी से...
More »हवाओं के रुख को बताता मोदी का भाषण - के. बेनेडिक्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का स्वतंत्रता दिवस का भाषण यूं तो हमेशा की तरह उनकी वक्तृत्व शैली और श्रोताओं से जुड़ने की उनकी क्षमता की ही एक और बानगी था, लेकिन इस बार का भाषण उनके कई समर्थकों को शायद इसलिए निराशाजनक लगा हो, क्योंकि उसमें पर्याप्त सामग्री नहीं थी। कइयों को उसमें महत्वपूर्ण बातों के बजाय दोहराव और पीआर संबंधी कवायद अधिक लगी। अलबत्ता उन्होंने इस अवसर...
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