SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 3035

सूखे बुंदेलखंड में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव

-वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए मजबूर...

More »

कोविशील्ड के परीक्षण के दौरान स्वयंसेवकों में उपजी बीमारी से भारतीय नियमन पर उठते सवाल

-द कारवां, अक्टूबर 2020 में चेन्नई में एक 40 वर्षीय व्यक्ति जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन के लिए नैदानिक ​​परीक्षण में भाग लिया था, अचानक बीमार पड़ गए. इस कोविड-19 वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने स्वीडिश-अमेरिकी कंपनी ऐस्ट्राजनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर तैयार किया है. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें एंसेफैलोपैथी है, जो मस्तिष्क संबंधी तंत्रिका का विकार है. चार दिनों तक वह कभी होश में आते और...

More »

अगले 80 वर्षों में दोगुनी हो जाएगी गंभीर सूखे से पीड़ितों की संख्या

-डाउन टू अर्थ, अगले 80 से भी कम वर्षों में गंभीर सूखे से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। जिसके लिए जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में हो रही वृद्धि जिम्मेवार है। यह जानकारी मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। पता चला है कि जहां 1976 से 2005 के दौरान विश्व की करीब 3 फीसदी आबादी गंभीर सूखे का सामना कर रही थी, जो सदी के अंत...

More »

कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

More »

देश में पोषण के हालात बदतर फिर भी पोषण से जुड़ी अहम कमेटियों ने नहीं की मीटिंग!

-न्यूजक्लिक, पोषण से जुड़ी भारत सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तर की कमेटियां हैं। इन तीनों कमेटियों की जिम्मेदारी इतनी बड़ी है कि अगर यह काम न करें तो इसका मतलब है कि देशभर में पोषण की देखभाल करने वाला कोई माई बाप नहीं है। यह कमेटियां देशभर में पोषण से जुड़ी नीतियां बनाती हैं। इन नीतियों को लागू करने का काम करती हैं। राज्य से लेकर केंद्र शासित प्रदेश में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close