मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...
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बच्चों को भूखा देख तड़प उठा पिता, आग लगाकर दे दी जान
जबलपुर। ग्वारीघाट की अवधपुरी कालोनी में रहने वाले 40 वर्षीय महेश तिवारी ने सोमवार की सुबह 10 बजे आग लगाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज से परेशान महेश के तीन मासूम बच्चे रविवार की शाम से भूखे थे। बच्चों को भूखा देखकर महेश तड़प उठा और उसने मौत का रास्ता चुन लिया। महेश चार महीने पहले तक अपने घर से ही रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करता था। लेकिन नोटबंदी के बाद धंधा...
More »राष्ट्रीय औसत से भी 30 हजार रुपए कम है मप्र में प्रतिव्यक्ति आय
भोपाल, नईदुनिया प्रतिनिधि। मप्र की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 72 हजार 599 रुपए हो गई है। हालांकि ये देश की प्रति व्यक्ति आय से कम है। मंगलवार को वित्त मंत्री जयंत मलैया ने विधानसभा में साल 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, जिसमें यह आंकड़ें सामने आए। प्रचलित भावों पर देश में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 3 हजार रुपए सालाना है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में मप्र अन्य राज्यों...
More »सरकार ने माना, कर्ज न चुका पाने से किसान ने की आत्महत्या
भोपाल। किसानों की आत्महत्या के मामले में प्रदेश सरकार ने पहली बार माना है कि फसल खराब होने और कर्ज न चुका पाने की वजह से भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले तीन महीने में प्रदेश में 1761 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से एक किसान ने फसल खराब होने पर कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी की। कुल 106 किसानों ने इस अवधि में अपनी जान दी। सोमवार...
More »सामाजिक योजनाओं के जरिए सियासत साधने की कवायद में सरकार
धनंजय प्रताप सिंह/वैभव श्रीधर,भोपाल। बजट के जरिए सियासत साधने की कोशिश हर सरकार करती आई है और आने वाले बजट में ये कोशिश निश्चित तौर पर नजर आने वाली है। 1 मार्च को आने वाले प्रदेश के बजट में सड़क,बिजली,पानी और अधोसंरचना के बजाए सामाजिक योजनाओं के बहाने सोशल इंजीनिरिंग पर ज्यादा फोकस हो सकता है। वैसे इस फार्मूले की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी।लेकिन इसे सही...
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