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सड़कों पर पलते कल के सपने : हर्ष मंदर

बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में भारत पर राज कर रही औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले यह स्वीकारा था कि अनाथ और निराश्रित बच्चों व किशोरों की देखभाल करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। लेकिन भारत को लोकतांत्रिक स्वाधीनता मिलने के छह दशक बीतने के बावजूद इस तरह के बच्चों और किशोरों के हित में अधिक से अधिक यही किया जा सका है कि उन्हें कारागृह जैसी राज्यशासी संस्थाओं में भेज...

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पूर्वोत्तर की बदलेगी तसवीर- मणिशंकर अय्यर

दिल्ली के नए अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल से यह हमारी पहली उड़ान थी। कॉमनवेल्थ खेलों के लिए बनाए गया यह टर्मिनल उसी की तरह बेहद खर्चीला, कल्पनातीत ढंग से नकली और कृत्रिम सजावट के कारण भड़कीला है। टूटे-फूटे टाइल्स, धब्बों से भरी और उखड़ती दीवारें तथा घटिया फर्श को छिपाते वे भद्दे कालीन बदतर कामकाज के ही उदाहरण हैं, जो यात्रियों के रास्ते में उनकी ट्रालियों के साथ खिंचे चले आते हैं।...

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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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राहत शिविर या शामत शिविर!- राजकुमार सोनी(तहलका)

वे गांव लौटे तो नक्सलवादियों का निशाना बन जाएंगे और यदि राहत शिविरों में रहते हैं तो उन्हें अमानवीय परिस्थितियों के बीच ही बाकी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर के राहत शिविरों में रहने आए हजारों ग्रामीण आदिवासी आज त्रिशंकु जैसी स्थिति में फंसे हैं. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट कोतरापाल गांव की प्रमिला कभी 15 एकड़ खेत की मालकिन थी, लेकिन गत छह साल से वह अपने...

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नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी

बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...

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