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अधिक बच्चे पैदा करने की शक्तियों जैसे जुमलों से गुमराह होने वाले मतदाताओं को इससे संबंधित आधिकारिक डेटा जरूरी देखने चाहिए!

अन्य धार्मिक समुदायों के पुरुषों की तुलना में मुस्लिम पुरुषों द्वारा बच्चे पैदा करने को अक्सर एक राजनैतिक प्रोपैगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव से ठीक पहले भारतीय बहुसंख्यक हिंदुओं से वोट प्राप्त करने के लिए एक विभाजनकारी प्रोपैगेंडा बनाया जाता है. मानव विकास, रोजगार सृजन, और गरीबी में कमी जैसे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक अभियान अक्सर...

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पिछले पांच सालों में छह लाख से अधिक हिंदुस्तानियों ने छोड़ी भारतीय नागरिकता: केंद्र

-द वायर, पिछले पांच वर्षों में छह लाख से अधिक भारतीय नागरिकों ने नागरिकता छोड़ दी. सरकार ने बीते मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 1,33,83,718 भारतीय नागरिक दूसरे देशों में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2017 में 1,33,049 नागरिकों ने, 2018 में 1,34,561 लोगों ने, साल 2019...

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केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार के बीच तकरार जारी, कैसे होगी धान की सरकारी खरीद

-डाउन टू अर्थ, छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर बुधवार से खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के लिए समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बार लगभग 105 लाख मीट्रिक टन रिकार्ड धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के बीच चावल खरीदी के मुद्दे पर गतिरोध जारी है। पिछले साल करीब 92 लाख मीट्रिक टन धान राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी...

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वैश्विक महामारी कोरोना में शिक्षा से जुड़ी इन चर्चित घटनाओं ने खींचा दुनिया का ध्यान

-न्यूजक्लिक, इस वर्ष वैश्विक महामारी के दौरान कुछ देशों में स्कूली शिक्षा से जुड़ी चर्चित घटनाएं घटीं, जो कहीं रोचक बहस तो कहीं चिंता का सबब बन गईं। बात शुरू करते हैं हांगकांग से, जहां स्कूल परिसरों में बच्चों द्वारा किए जाने वाले राजनीतिक गीत-संगीत के आयोजन को लेकर वहां की सरकार और विशेष तौर पर शिक्षा मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई थी और कहा था कि स्कूली बच्चों को चाहिए...

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प्रथम दृष्टि: शराबबंदी के सवाल

-आउटलुक, “शराबबंदी की सफलता महज सियासी या प्रशासनिक उपायों से हासिल नहीं की जा सकती” अर्थशास्त्रियों के बीच पुरानी कहावत है कि ‘शराब वित्त मंत्री की सबसे अच्छी दोस्त और स्वास्थ्य मंत्री की सबसे बुरी दुश्मन है।’ सही भी है, क्योंकि यह राजस्व के बड़े स्रोतों में एक है, लेकिन इसके सेवन से बीमारी और मौत के आंकड़े डरावने हैं। इसलिए किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना...

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