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बेरोजगार है भारत के तीन में से एक युवा स्नातक : रिपोर्ट

नयी दिल्लीः श्रम मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ-साथ विभिन्न उम्र वर्गों में बेरोजगारी का दर भी बढ़ रहा है. देश के नीति निर्माताओं के लिए यह वाकई चिंता की स्थिति है. चंडीगढ़ श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण पर आधारित ‘युवा रोजगार-बेरोजगारी परिस्थिति, 2012-13’ में यह बात सामने आयी है कि कम से कम स्नातक पूरा करने वाले तीन युवाओं में से एक बेरोजगार है....

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अब निजी स्कूलों में भी मिड डे मील

रांची: देश के निजी स्कूलों में भी अब मध्याह्न् भोजन दिया जायेगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. भारत सरकार की मध्याह्न् भोजन योजना के निदेशक गया प्रसाद ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. रांची में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा : फिलहाल देश के 196 जिलों में योजना शुरू की जायेगी. इसके तहत एससी, एसटी व अल्पसंख्यक बहुल जिलों को चिह्न्ति किया गया है. झारखंड में फिलहाल...

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आधी आबादी की राजनीतिक हिस्सेदारी- अरविन्द मोहन

चुनाव आते ही अगर सभी दलों और सचेत लोगों को महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व का मसला याद आने लगता है, तो यह महिलाओं के प्रति उनके अनुराग या देश में महिलावादी आंदोलन का जोर बढ़ने का नतीजा नहीं है. अभी तक महिलाओं का अपना आंदोलन शहरों को छोड़ कर कहीं नहीं गया है. असल में इसका कारण हाल के चुनावों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी है. बीते दो-ढाई दशक में अगर...

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आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...

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कहां चूक गये हम ? - श्रीश चौधरी

आजादी के 66 वर्षो बाद भी शिक्षा जैसे बुनियादी विषय पर समाज की ऐसी दयनीय स्थिति चिंता व खेद का कारण है. हमारी गरीबी, हमारा पिछड़ापन, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हमारे उत्साह एवं प्रयास के अभाव का ही परिणाम है. स्वतंत्रता के बाद ही ऐसे कदम उठाये जाने चाहिए थे, ऐसी नीतियां बननी चाहिए थीं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सर्वव्यापी बनाते. परंतु वैसा नहीं हुआ. परिणाम सामने है - जिस समाज की...

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