प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि रुपये के मूल्य में गिरावट और तेल के दामों में वृद्धि का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है और देश कठिन आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जिसके लिए कुछ घरेलू कारक भी जिम्मेदार हैं। सिंह ने राज्यसभा में कहा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश कठिन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह बात सिंह ने...
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झटका उपचार का नया दौर- आनंद प्रधान
जनसत्ता 19 सितंबर, 2012: यूपीए सरकार ने एक झटके में ताबड़तोड़ डीजल-रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से लेकर अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी पूंजी के लिए खोलने और सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के विनिवेश जैसे कई बड़े और विवादास्पद फैसलों का एलान करके संकट में फंसी अर्थव्यवस्था पर ‘झटका उपचार’ (शॉक थेरेपी) को आजमाने की कोशिश की है। यह उपचार भारत में कोई पहली बार नहीं आजमाया जा रहा...
More »नया कंपनी राज- पुष्परंजन
जनसत्ता 31 मई, 2012: इसे ‘केला गणतंत्र’ कहें तो कई लोगों को आपत्ति हो सकती है। लेकिन दिशाहीन राजनीति और डोलती अर्थव्यवस्था के लिए ‘बनाना रिपब्लिक’ जैसे शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी लेखक ओ हेनरी ने 1904 में अपनी पुस्तक ‘कैबेज एंड किंग्स’ में किया था। ओ हेनरी 1896-97 में बैंक घोटाले के एक मामले में अमेरिका से गायब हो गए थे, और होंडुरास में शरण ली थी। उस दौरान मध्य अमेरिकी...
More »क्या योरोप खुद को बचा पाएगा- पॉल क्रुगमैन
हाल के कुछ महीनों के दौरान मैंने यूरोप की संभावनाओं के बारे में कई आशावादी मूल्यांकन देखे। आश्चर्यजनक रूप से इनमें से कोई भी मूल्यांकन यह बता पाने में असमर्थ था कि यूरो संकट के हल के लिए जर्मनी ने जो फॉरमूला दिया है, उसकी सफलता की कोई संभावना है भी या नहीं। इसके विपरीत ये मूल्यांकन यूरो की विफलता की उस आशंका को ही अधिक व्यक्त करते दिख रहे...
More »संसद बनाम लोकतंत्र- राजकिशोर
जनसत्ता 27 दिसंबर, 2011: कभी-कभी ऐसा होता है कि शरीर की कुछ कोशिकाएं विद्रोह कर देती हैं। उनका पुनरुत्पादन इतनी तेजी से होने लगता है कि जिस शरीर का वे हिस्सा होती हैं, उसी का विनाश करने लगती हैं। इसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर जब दिमाग में फैलता है तो वह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसी तरह, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि समाज का एक हिस्सा...
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