बिनायक सेन को देशद्रोह के आरोप में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. पीयूसीएल के प्रमुख और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यन्यायाधीश राजेंद्र सच्चर ने इस फ़ैसले को वाहियात बताते हुए कहा है कि जिस क़ानून के तहत उन्हें सज़ा सुनाई गई है वही ग़ैरक़ानूनी है. जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस फ़ैसले को अन्यायपूर्ण बताया है. कांग्रेस ने इस फ़ैसले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा...
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‘भारतीय राजनीति के दाधीच थे सुरेंद्र मोहन’
नई दिल्ली.प्रख्यात समाजवादी नेता, विचारक और आपातकाल के बाद गठित जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक स्व. सुरेंद्र मोहन को गुरुवार को राजधानी के कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित स्मृति सभा में समाजवादियों, वामपंथियों व सामाजिक संघर्ष से जुड़े संगठनों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी तो उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रो पड़े और स्व. उप-राष्ट्रपति कृष्णकांत की पत्नी सुमन कृष्णकांत का गला भर्रा गया।...
More »गांधी के सिवा कोई रास्ता नहीं है -- सच्चिदानंद सिंहा से आलोक प्रकाश पुतुल की बातचीत
सच्चिदानंद सिंहा भारत के उन चुनिंदा विचारकों में हैं, जो अपने समय से लगातार मुठभेड़ करते रहते हैं. 81 साल की उम्र में भी लगातार सक्रिय सच्चिदानंद सिंहा मानते हैं कि भारत में आने वाले दिनों में अगर किसी नये समाज का निर्माण करना है तो समाजवादी विचारकों को गांधी की कुछ बातों को स्वीकारना ही होगा. उनसे कुछ सामयिक मुद्दों पर की गई बातचीत यहां प्रकाशित की जा रही...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »माकपा का 15 से जमीन हड़पो अभियान
पटना किसानों और भूमिहीनों की समस्या को फोकस में लाने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) करीब चालीस साल पुराने भूमि आंदोलन को फिर से जिंदा करेगी। पार्टी प्रदेश में 15 मई से 'जमीन हड़पो अभियान' की शुरूआत करेगी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने 1971 में यह आंदोलन आरंभ किया था, परन्तु इसके दिशाहीन हो जाने के कारण एक सप्ताह में ही इसे बंद कर दिया था। वाम कार्यकर्ताओं ने उस समय छोटे जमींदारों की जमीन...
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