देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों, भाजपा और कांग्रेस, का मानना है कि आम आदमी के जीवन को बेहतर करने और गरीबी उन्मूलन का एक ही मंत्र है, वह है-ऊंची विकास दर। लेकिन इस समय आर्थिक विकास दर दशक के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए विगत शुक्रवार को आए केद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, लगातार सातवीं...
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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश
देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....
More »जब देश डूबें तो कौन बचाए!
नई दिल्ली, अंशुमान तिवारी; वित्तीय दुनिया चाहे जितनी पेंचदार हो, मगर यह हमेशा से एक अलिखित और व्यावहारिक भरोसे पर ही चलती है। रुपये अदा करने का वचन देने वाली कागजी मुद्रा (प्रॉमिसरी नोट) से लेकर अरबों डॉलर के बाडों और शेयरों तक फैला यही भरोसा अब दरकने लगा है। बात लीमन ब्रदर्स या बेरिंग्स नाम के बैंक अथवा एनरॉन या सत्यम जैसी कंपनी से भरोसा उठने की है ही...
More »सदमे में किसान: फिर गईं तीन जान,
बेगमगंज/विदिशा. कर्ज के बोझ में दबे किसान लगातार मर रहे हैं और सरकार सिर्फ जांच का हवाला देती जा रही है। शनिवार को तीन किसानों की फिर जान चली गई। प्रदेश में दो दिन में छह किसानों की मौत हो चुकी है, वहीं एक महिला ने भी आत्महत्या का प्रयास किया था। रायसेन जिले में दो किसान फसल बर्बाद होने का सदमा नहीं झेल सके। बताया जाता है उनपर बैंक और...
More »मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में फिर गई किसान की जान
इछावर/ब्रिजीस नगर. कर्ज से डूबे सीहोर के एक और किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में एक पखवाड़े के भीतर ‘ऋणी किसान’ की आत्महत्या का यह दूसरा मामला है। जान गंवाने वाले किसान पर बैंकों के अलावा साहूकारों का भी लाखों का कर्ज था। आए दिन होने वाले तकाजे और पाले से तबाह फसल से हताश ब्रिजीस नगर के शिवप्रसाद मेवाड़ा ने खेत...
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