मध्य वर्ग के लिए कार सिर्फ कार नहीं होती। महानगरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों तक, वह एक ऐसे सपने का परिणाम भी होती है, जिसे लंबे समय तक संजोया जाता है। इस सपने को पूरा करने के लिए न सिर्फ जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, बल्कि तरह-तरह के जुगाड़ भी बिठाने पड़ते हैं- मार्जिन मनी, कार लोन वगैरह। इस वर्ग के लिए यह सपना कितना महत्व रखता है,...
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किशोर अपराध और लाचार कानून-- सतीश सिंह
बीते सालों में नाबालिगों द्वारा बलात्कार के मामलों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। नाबालिगों द्वारा सामूहिक बलात्कार करने के मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं। कुछ समय पहले दिल्ली में पैरा मेडिकल की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में भी एक किशोर की संलिप्तता थी। अब दिल्ली में किशोरों ने ढाई साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के...
More »एक इम्तिहान है मैगी का मामला - जगमोहन सिंह राजपूत
दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी ने सारे भारत को हिला दिया है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि इस बार तो स्वाद पूरी तरह बेमजा हो गया। नेस्ले के नूडल्स घर-घर ही नहीं, अब तो गांवों तक अपनी पहुंच बना चुके थे। वे लोग जो चाहते हैं कि सारी दुनिया में एक भाषा, एक पहनावा, एक खाना ही चले, मैगी जैसे प्रचलन को अपनी...
More »मौत आती है पर नहीं आती - अनुराग चतुर्वेदी
'मरते हैं आरजू में मरने की/मौत आती है पर नहीं आती।" 7 मार्च 2011 को अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के मुकदमे का फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने मिर्जा गालिब के इस शे"र को याद किया था। सोमवार को जब अरुणा ने आखिरी सांस ली, तब काटजू ने एक बार फिर यह शे"र दोहराया। इस दर्दनाक कहानी की शुरुआत 26 नवंबर 1973 को होती...
More »महिला कामगारों की अनसुनी चीख- उपासना बेहार
घरेलू महिला कामगार श्रमिकों का एक ऐसा वर्ग है, जिसका शोषण आज भी जारी है। कहने को भले ही ये कामगार हों, लेकिन इन्हें नौकरानी ही माना जाता है। इनमें से कुछ अनेक घरों में कार्य करती हैं, तो कुछ एक ही घर में सीमित समय के लिए काम करती हैं, जबकि कुछ एक घर में पूर्णकालिक काम करती हैं। इन घरेलू महिला कामगारों के साथ तरह-तरह की क्रूरता, अत्याचार...
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