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धरती के 40 प्रतिशत जंगलों के जलने व कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं 88 बड़े उद्योग, जानें कैसे?

डाउन टू अर्थ, 24 मई एक शोध के मुताबिक, पिछले 40 सालों में पश्चिमी अमेरिका और दक्षिण-पश्चिमी कनाडा में जंगल की आग से जले हुए लगभग 40 प्रतिशत जंगली इलाकों के लिए दुनिया के 88 सबसे बड़े उद्योग जिम्मेवार है। इन उद्योगों को जीवाश्म ईंधन और सीमेंट निर्माण से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि, तेल और गैस कंपनियां जलवायु परिवर्तन...

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पश्चिम बंगाल में केंद्र व राज्य के बीच तनातनी का खामियाजा भुगत रहे मनरेगा मजदूर

डाउन टू अर्थ, 3 मई  पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बेलमा गांव की 45 वर्षीय जयगुन बीबी की ईद इस बार हमेशा की तरह अच्छी नहीं मनी। वह अपना दर्द बयां करती हैं, “हमारे गांव में जून 2022 से ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के तहत मिलने वाला काम बंद है। इस वजह से घर में अब एक पाई भी नहीं बची है। आय का इकलौता...

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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओजोन को कर सकता है कमजोर

डाउन टू अर्थ, 06 अप्रैल  धरती को सूर्य से बचाने वाली ओजोन परत को कमजोर करने वाली क्लोरोफ्लोरोकार्बन पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि कुछ मानव निर्मित क्लोरोफ्लोरोकार्बन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। जलवायु में बदलाव करने वाला यह उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन के अनुसार, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद, पांच क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) 2010 से 2020 तक...

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सालाना 50 फीसदी की दर से नष्ट हो रहे हैं पहाड़ी जंगल, खतरे में जैव विविधता: अध्ययन

डाउन टू अर्थ, 28 मार्च  दुनिया के 85 फीसदी से अधिक पक्षी, स्तनपायी और उभयचर प्रजातियां पहाड़ी जंगलों में रहते हैं, लेकिन ये जंगल तेजी से गायब हो रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में, 2000 के बाद से 7.81 करोड़ हेक्टेयर यानी 7.1 फीसदी पहाड़ी जंगल गायब हो गए है। अधिकांश नुकसान उष्णकटिबंधीय जैव विविधता हॉटस्पॉट में हुआ है, जिससे संकटग्रस्त प्रजातियों पर दबाव बढ़ रहा है। 21वीं सदी की...

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सोना खनन में लगे 40 लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चे खतरे की कगार पर: अध्ययन

डाउन टू अर्थ, 27 मार्च छोटे स्तर पर सोना खोजने और निकालने के लिए जहरीले पारे का उपयोग किया जाता रहा है, जिससे इससे जुड़े लोगों के स्वास्थ्य को भारी खतरा होता है। जबकि इसकी रोकथाम को लेकर मिनामाटा कन्वेंशन नामक एक वैश्विक संधि भी है, जिसमें सोने के खनन वाले देशों को नियमित रूप से जहरीले पारे की मात्रा के उपयोग की जानकारी देनी होती है। यह संधि देशों को...

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