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यूपी चुनाव: मीठे चुनावी वादे और गन्‍ना किसानों की कड़वी सच्‍चाई

-इंडिया स्पेंड, उत्तर प्रदेश चुनाव में गन्‍ना किसानों के भुगतान का मुद्दा फिर उठ रहा है। एक ओर मौजूदा सरकार रिकॉर्ड भुगतान के दावे कर रही है। वहीं, व‍िपक्ष के नेता भुगतान में देरी की बात करते हुए सरकार बनने पर 15 द‍िन के अंदर भुगतान की बात कर रहे हैं। इन तमाम दावों और वादों से इतर किसान अपने गन्‍ने के पेमेंट की बाट जोह रहा है। उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत ज‍िले के किसान मनजीत...

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उत्तराखंड चुनाव: बंद होते सरकारी स्कूल; निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार

-इंडियास्पेंड, उत्तराखंड अपनी पांचवी विधानसभा के चुनावों की तैयारियां कर रहा है। देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पिछले 21 सालों में लगभर सामान रूप से सरकारें बना चुकी हैं, लेकिन राज्य के सरकारी स्कूल आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर हैं। आज भी चुनाव के समय अच्छी शिक्षा के लिए जनता से वादे तो किये जाते हैं लेकिन राज्य के विद्यालयों की स्थिति के आंकड़े...

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भारत के कमजोर होते लोकतंत्र से गंभीर बनता दिल्ली का वायु प्रदूषण

-कारवां, जैसे-जैसे सर्दियां दस्तक देने लगी थीं, वैसे-वैसे दिल्ली का अपना ही जहरीली हवा का मौसम शुरू होने लगा था. यह जहरीली हवा का मौसम दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध के खुले उल्लंघन के कारण और विषाक्त हो जाता है. प्रेस और दिल्ली के लिबरल शहरियों का आक्रोश और लाचारी का सालाना अनुष्ठान भी इसी मौसम के साथ आरंभ हो जाता है. पर्यावरणविद सरकार की यदा-कदा होने वाली और अप्रभावी कार्रवाई...

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बेरोजगारी से परेशान होकर आंदोलन करने को मजबूर, देश का युवा इतना बेचैन क्यों है?

-द प्रिंट, जब देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा था तब बिहार से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं जिन्हें देखकर गुस्सा भी आया और तरस भी. गुस्सा इस बात का कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. सरकारी रेल की कई बोगियों को आग के हवाले कर दिया गया. तरस इस बात पर कि देश के युवा क्यों बार-बार इस तरह के आंदोलन करने को मजबूर हो जाते हैं? आखिर इस...

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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

-जनपथ, प्रस्‍तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्‍शन सेंटर (पीस), दिल्‍ली द्वारा बीते वर्ष अक्‍टूबर में संवैधानिक मूल्‍यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्‍याख्‍यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्‍य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्‍याय, पत्रकारिता और कला व संस्‍कृति के फैलोज़ को इस व्‍याख्‍यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...

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