-जनज्वार, Most Polluted Cities In India : हाल में ही अमेरिका में बाइडेन प्रशासन (Biden Administration of USA) ने एक रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है जिसके अनुसार जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि (Climate Change & Global Warming) के प्रभावों से पूरी दुनिया में अराजकता बढ़ेगी, पर सबसे अधिक असर 11 देशों पर पड़ेगा, जिनमें भारत भी शामिल है। इस रिपोर्ट को अमेरिका की ख़ुफिया संस्थानों और पेंटागन (Intelligence agencies & Pentagan)...
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जलवायु परिवर्तन: भारत कोयले के बिना क्यों नहीं रह सकता है?
-बीबीसी, भारत दुनिया का ऐसा तीसरा सबसे बड़ा देश है जो बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधनों को निकालता है और उसमें भी वो सबसे अधिक कोयला निकालता है. दुनिया के बड़े देश मांग कर रहे हैं कि कोयले का खनन कम किया जाना चाहिए. यह भारत जैसे तेज़ी से विकास कर रहे देश के लिए कितना मुश्किल है कि वो अपने सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत को खो दे? भारत में जलवायु परिवर्तन से...
More »क्या 50 लाख साल बाद, जल संकट से होने वाले पलायन से फिर जूझ रही है दुनिया?
-डाउन टू अर्थ, दिल्ली के श्रम बाजारों में पिछले कुछ हफ्तों से भीड़ बढ़ने लगी है। अनौपचारिक कामगारों के ये बाजार आसपास के राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के मौसम की स्थिति का पैमाना हैं। मानसून का यह मौसम अनिश्चितताओं से भरा है। दिल्ली के बाजारों में अनौपचारिक कामगारों की संख्या में वृद्धि भविष्य के सूखे का एक निश्चित संकेत है। कृषि के मौसम...
More »मध्यप्रदेश: 23 जिंदा लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर किया सरकारी मदद का गबन
-न्यूजलॉन्ड्री, 30 साल के सतीश सोनी ने अपनी बहन की शादी में मिलने वाली सरकारी मदद के लिए छिंदवाड़ा जनपद सीईओ के दफ्तर में जून महीने में आवदेन किया. उन्हें 15 दिन बाद पैसा मिलने का आश्वासन दिया, लेकिन 15 दिन बाद अधिकारी ने कहा, “कार्ड में कुछ अपडेट है, इसलिए पैसा आने में अभी समय लगेगा.” सतीश कुछ दिनों बाद दोबारा जनपद गए तो फिर से कुछ और बहाना बना...
More »नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है
आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
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