ऐसे कई उदाहरण हैं, जब एक अकेले इनसान ने अपनी कोशिशों से अपने आसपास के सूरत-ए-हाल को बदल डाला है. आज की स्टोरी में हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के काम के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपने अथक प्रयास से झीलों को पुनर्जीवन दे दिया. क्या हम सिर्फ अपने लिए जवाबदेह हैं, या अपने परिवार के लिए या अपने समुदाय के लिए? तो फिर धरती, पहाड़ों, नदियों...
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शिक्षा की मुहिम में नजरंदाज हो जाते हैं दिव्यांग बच्चे-- अलका आर्य
हाल ही में संसद द्वारा दिव्यांगों (विकलांगों) के अधिकारों से जुडे़ जिस विधेयक को पारित किया गया है, उसमें दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान हैं। अब दिव्यांग बच्चों को छह से 18 साल तक नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी, जबकि मौजूदा प्रावधान में यह आयु सीमा छह से 14 वर्ष है, जो शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी वर्ग के बच्चों पर लागू होती है। दिव्यांग बच्चों...
More »कैसे रुकेंगे सड़क हादसे- रमेश सर्राफ धमोरा
ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जिस दिन देश के किसी भी भाग में सड़क हादसा न हो और कुछ लोगों को जान से हाथ न धोना पड़े। अमूमन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले आम जन होते हैं। इसलिए वे अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाते, जिससे उन दुर्घटनाओं पर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता है। आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में हर मिनट में एक सड़क दुर्घटना होती...
More »अब हवा सांस लेने लायक नहीं
दुनियाभर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के खतरनाक प्रभाव का विश्लेषण करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल' की संज्ञा दी है. वायु प्रदूषण से बड़ी संख्या में मौताें और बीमारियों से सबसे प्रभावित विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं, लेकिन विकसित देश भी इससे बेअसर नहीं हैं वैश्विक जनसंख्या का 90 प्रतिशत से अधिक भाग प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए अभिशप्त है. यह अच्छी...
More »ऐसे तो स्वस्थ-स्वच्छ नहीं बनेगा देश- संजय गुप्त
स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता की बीमारी ने ऐसी स्थितियां उत्पन्न् कर दी हैं कि हमारे ज्यादातर शहर गंदगी के ठिकानों में तब्दील होकर रह गए हैं। देश में साफ-सफाई की लचर स्थिति तब और अधिक हैरान करने वाली है जब स्वच्छता उपकर के नाम पर नागरिकों से अलग से टैक्स भी वसूला जा रहा है। भारत को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने के लिए सरकारों को इस ओर...
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