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सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment             तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...

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क्यों मोदी सरकार को मुश्किल वित्तीय हालात से उबरने के लिए तेल की आय पर निर्भरता खत्म करनी चाहिए

-द प्रिंट, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें पिछले कई हफ्तों से बढ़ रही हैं. देश के कुछ हिस्सों में तो पेट्रोल की खुदरा कीमत प्रति लीटर 100 रुपये को पार कर गई है. मांग में नए सिरे से तेज़ी आने के कारण वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, और अपने यहां पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बढ़ोत्तरी उसी का परिणाम है. पेट्रोल के खुदरा मूल्य का...

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निजी क्षेत्र के समर्थन के दावे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को इन 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

-द प्रिंट, सरकार की आर्थिक रणनीति में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र पर भरोसा जताया है. बुधवार को सरकार ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू की, जिसमें 13 सेक्टर शामिल हैं और माना जा रहा है कि इससे वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र भारत की ओरआकर्षित हो सकेगा. यह विशेष रूप से आयात पर उच्च निर्भरता वाले श्रम-प्रधान क्षेत्रों में घरेलू...

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नैचुरल गैस को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए सस्ता हुआ तो संभव है दूसरी स्वच्छ ईंधन क्रांति : सीएसई

-डाउन टू अर्थ, वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए उद्योगों के जरिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बेहद कारगर रणनीति साबित हो सकती है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक ईकाइयों के जरिए बड़े पैमाने पर प्रदूषण के लिए प्रबल तरीके से जिम्मेदार कोयला ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में बजट-2021 में स्वच्छ ईंधन को यदि बढ़ावा दिया जाता है तो वायु प्रदूषण की लड़ाई न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए बल्कि...

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कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

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