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रोजगार के मौके बढ़ाने में मददगार होंगे नए श्रम कानूनः सरकार

नई दिल्ली। श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव को लेकर ट्रेड यूनियनों की चिंता दूर करते हुए श्रम मंत्रालय ने कहा है कि इसका मकसद नए कारखाने लगाने के लिए नियमों को सरल बनाना, रोजगार के मौके बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाना है। श्रम मंत्रालय ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 10 सूत्री मांग पत्र पर स्थिति रिपोर्ट में कहा है, 'इन श्रम कानून सुधारों का मकसद नई यूनिट्स लगाने की...

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छंटनी होगी आसान, सिंगल लेबर कोड लाने की तैयारी में सरकार

  नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार तीन श्रम कानूनों को मिलाकर एक सिंगल लेबर कोड बनाने की तैयारी कर रही है। इससे कर्मचारियों के लिए यूनियन बनाना जहां मुश्किल हो सकता है, वहीं 300 तक की कर्मचारी संख्‍या वाली कंपनियों को छंटनी के लिए किसी भी तरह की आधिकारिक अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। अधिकारियों का कहना है कि श्रम कानूनों के एकीकरण का मकसद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना...

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राजनीतिक चंदे में गोरखधंधे को रोकें - ए. सूर्यप्रकाश

कई साल पहले सजग नागरिकों ने बाहुबल और धनबल के रूप में उन दो दुष्टों की पहचान की थी, जो हमारे लोकतंत्र को कलंकित कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग की लगातार कोशिशों, सुरक्षा बलों की बड़े स्तर पर तैनाती और लंबी चलने वाली चुनाव प्रक्रिया को बधाई देनी चाहिए जिनसे पहले दुष्ट यानी बाहुबल पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। लेकिन धनबल की समस्या अभी तक चुनावी...

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मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल

फिरोज अशरफ ने बीस साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। उनके पढ़ाए बच्चे आज झुग्गियों से निकलकर बड़े बैंक अधिकारी और वकील बन गए हैं। 73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा...

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मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल

73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा बच्चे उनसे शिक्षा ले चुके हैं। फिरोज बताते हैं, उनका मकसद शिक्षा की उस कमी को पूरा करना है जो सरकारी स्कूलों की अनदेखी के...

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