दिल्ली और उसके आसपास का इलाका इन दिनों प्रदूषण की अभूतपूर्व मार से ग्रस्त है। जिधर नजर डालिए, उधर धुंध की मटमैली चादर तले खांसते, कांपते और कांखते लोग मिल जाएंगे। अपना एक निजी अनुभव आपसे शेयर करता हूं। दीपावली को दोपहर के बाद से मैं जब भी अपने घर का दरवाजा खोलता, तो बेचैन हो उठता। सामने वाले फ्लैट में एक प्यारा शिशु रहता है। अभी उसे अपना पहला जन्मदिन मनाना...
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जलवायु परिवर्तन का नतीजा हैं ये त्रासदियां-- अभय कुमार
राजधानी चेन्नै और तमिलनाडु के अन्य हिस्सों में भारी बारिश का सिलसिला जारी है. इस महानगर के हालिया इतिहास में वर्षा का यह स्तर अभूतपूर्व है. आम तौर पर तमिलनाडु में वर्ष के इन महीनों में तेज बारिश होती है. इसका कारण उत्तर-पूर्वी मॉनसून है जिसे वापस लौटता हुआ दक्षिण-पश्चिम मॉनसून भी कहा जाता है. हिमालय से आती ठंडी हवाएं बंगाल की खाड़ी से नमी पाती हैं और दिसंबर से...
More »नेता, नायक या एक सियासी प्रतीक? - गोपालकृष्ण गांधी
हम एक व्यक्तिपूजक देश हैं। धर्म, राजनीति, कला, हर क्षेत्र में हमने अपने-अपने व्यक्ति-रूपक रच डाले हैं। हम हमेशा खुद को विराट छवियों से घिरे रखना पसंद करते हैं। हमारे कैलेंडर पर लाल स्याही से अंकित वे तारीखें सभी का ध्यान खींचती हैं, जिन पर पर्व-त्योहार या किसी महापुरुष की जयंती या पुण्यतिथि अंकित होते हैं। ऐसा लगता है जैसे हमारे पास इसके लिए समय और संसाधनों की कोई कमी...
More »दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?
क्या निकट भविष्य में देश दलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा जैसा कि केंद्र की नई सरकार के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री ने वादा किया था ? दलहन के उत्पादन, आयात और उपभोग से संबंधित हाल का एक अध्ययन प्रधानमंत्री के वादे के विपरीत इशारे करता है. मिसाल के लिए अध्ययन के इन तथ्यों पर गौर करें : साल 2030 तक भारत की आबादी के 1.68 अरब होने के अनुमान हैं...
More »आदिवासियों के लिए नए खतरे-- के सी त्यागी
निजी क्षेत्र के उद्योगों को वन भूमि आवंटित करने वाले सरकार के हालिया फैसले ने एक बार फिर आदिवासियों को चिंतित किया है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से निजी कंपनियों को पेड़ों की कटाई की आजादी होगी। यह विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किया जा सकता है, लेकिन साफ है कि इस दिशा में किसी भी तरह का संशोधन वन अधिकार अधिनियम को...
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