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चर्चा में.... | दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?
दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?

दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?

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published Published on Oct 27, 2015   modified Modified on Oct 27, 2015
क्या निकट भविष्य में देश दलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा जैसा कि केंद्र की नई सरकार के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री ने वादा किया था ?

 

दलहन के उत्पादन, आयात और उपभोग से संबंधित हाल का एक अध्ययन प्रधानमंत्री के वादे के विपरीत इशारे करता है. मिसाल के लिए अध्ययन के इन तथ्यों पर गौर करें :

 

साल 2030 तक भारत की आबादी के 1.68 अरब होने के अनुमान हैं और बढ़ी हुई इस आबादी के लिए 32 मिलियन टन दाल की सालाना जरुरत होगी. 

 
इस जरुरत को पूरा करने के लिए दलहन के उत्पादन का मौजूदा रकबे ( ढाई करोड़ हैक्टेयर) में 30-50 लाख हैक्टेयर का इजाफा करना पड़ेगा और मौजूदा उत्पादन (764 किग्रा. प्रतिहैक्टेयर) को तकरीबन दोगुना(1361 किग्रा. प्रति हैक्टेयर) बढ़ाना होगा.

 

लेकिन देश में दलहन के उत्पादन के इतिहास से आने वाले दिनों में ऐसी बढ़वार के संकेत नहीं मिलते.

 

बीते छह दशक( 1950-51 से 2013-14) में दलहन के उत्पादन के रकबे में महज 60 लाख का हैक्टेयर( 1 करोड़ 90 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 2 करोड़ 50 लाख हैक्टेयर) का इजाफा हुआ है और दलहन के उत्पादन की संयुक्त सालाना वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम(0.64 प्रतिशत) रही है.

 

हालांकि सदी के शुरुआती दशक (2000-01 से 2013-14) में दलहन की संयुक्त सालाना वृद्धि दर में तनिक सुधार(2.4प्रतिशत) आया है तो भी यह दर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पल्स रिसर्च के विजन 2050 में बताये गये वांछित दर से दो गुना कम है.

 

भारत में दालों की जरुरत से संबंधित विजन 2050 रिपोर्ट के अनुसार तीन दशक बाद भारत में सालाना 50 लाख टन दलहन की जरुरत होगी और इसके लिए दलहन के उत्पादन की सालाना वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहनी चाहिए.

 

गौरतलब है कि इस साल दलहन के उत्पादन निर्धारित लक्ष्य से 20 लाख टन कम हुआ है. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी उत्पादन से संबंधित चौथे आकलन के मुताबिक साल 2014-15 में 1 करोड़ 70 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ जो कि बीते दो सालों(2013-14 और 2012-13) से कम है. 2014-15 में लक्ष्य 1 करोड़ 90 लाख टन का था जो कि बीते दो सालों(2013-14 और 2012-13) से कम है.

 

जरुरत की तुलना में दलहन का उत्पादन कम होने से भारत को हर साल आयात पर एक बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है. कृषि मंत्रालय द्वारा हाल में जारी एग्रीकल्चरल स्टैटिक्स ऐट ए ग्लांस रिपोर्ट के अनुसार साल 2001-02 में दलहन के आयात पर भारत ने 3160 करोड़ रुपये खर्च किए जो साल 2013-14 में बढ़कर 10551 करोड़ हो गया है. साल 2009-10 से 2012-13 के बीच दालों का आयात घरेलू उत्पादन का 20 प्रतिशत से ज्यादा रहा है और वर्ष 2003-04 को छोड़कर नयी सदी के पहले दशक के अन्य सालों में दालों के आयात का आंकड़ा 15-20 प्रतिशत के बीच रहा है. साल 2003-04 में दालों का आयात घरेलू खपत का 11-12 प्रतिशत था.

 

ध्यान रहे कि भारत दालों के वैश्विक उत्पादन, उपभोग और आयात के मामले में सबसे आगे है. नाबार्ड द्वारा जारी एक नीति-पत्र के अनुसार दालों के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की है जबकि उपभोग में 27 प्रतिशत और आयात 14 प्रतिशत की.

 

दालों के उत्पादन, उपभोग और आयात से संबंधित कुछ रुचिकर तथ्य-

 

--भारत वैश्विक दलहन उत्पादन, उपभोग और आयात के मामले में दुनिया में शीर्ष पर है. वैश्विक दलहन के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की है जबकि उपभोग में 27 प्रतिशत की और आयात में 14 प्रतिशत की.

 

--साल 2001-02 में दलहन के आयात पर भारत ने 3160 करोड़ रुपये खर्च किए जो साल 2013-14 में बढ़कर 10551 करोड़ हो गया है.

 

--साल 1971 में प्रति व्यक्ति दाल की उपलब्धता देश में 51.1 ग्राम प्रतिदिन थी जो साल 2013 में घटकर 41.9 ग्राम प्रतिदिन रह गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 80 ग्राम दाल के उपभोग को जरुरी माना है.

 
--दालों का घटता हुआ उपभोग भारत के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि भारत चीन की तरह कार्बोहाइट्रेट के ज्यादा और प्रोटीन के कम उपभोग के कारण मधुमेह के रोगियों की राजधानी के रुप में विकसित हो रहा है.

 

---दलहन की खेती पर्यावरण-संरक्षण के लिहाज से अत्यंत उपयोगी है. अनुमानों के मुताबिक एक किलोग्राम मांस के उत्पादन एक किलोग्राम दाल के उत्पादन की तुलना में पाँच गुना कम वाटर फुटप्रिन्ट लगता है. इसके अतिरिक्त एक किलोग्राम दाल के उत्पादन में 0.5 किलोग्राम कार्बनडाय आक्साइड का उत्सर्जन होता है जबति 1 किलोग्राम मांस के उत्पादन में 9.5 किलोग्राम कार्बनडाय आक्साइड का.

 

----1950-51 में दलहन के उत्पादन का रकबा 19 मिलियन हैक्टेयर था जो साल 2013-14 में बढ़कर 25 मिलियन हैक्टेयर हो गया. इस तरह दलहन के उत्पादन के रकबे में छह दशक में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

 

----दलहन के उत्पादन में सर्वाधिक हिस्सा चने की दाल( कुल का 40 प्रतिशत) है जबकि अरहर का 15-20 प्रतिशत और उड़द तथा मूंग का 8-10 प्रतिशत.
मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा कर्नाटक शीर्ष के दाल उत्पादक राज्य हैं.

 

----बीते छह दशक में दालों की उत्पादकता देश में 46 प्रतिशत बढ़ी है. 1950-51 में यह 441 किलोग्राम प्रतिहैक्टेयर थी जो साल 2013-14 में बढ़कर 764 किलोग्राम प्रतिहैक्टेयर हो गई. लेकिन दालों के उत्पादन की सालाना वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम रही है.

 

----दालों के उत्पादन की सालाना वृद्धि दर( 0.64 प्रतिशत) की तुलना में चावल के उत्पादन की सालाना वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत, गेहूं की 2.75 प्रतिशत और तेलहन की 1.53 प्रतिशत रही है.

 

----1960 और 1970 के दशक में दालों के उत्पादन में भारी गिरावट आई क्योंकि हरित क्रांति के अंतर्गत दलहन की खेती की जगह उच्च उत्पादकता वाले गेहूं और चावल की खेती को बढ़ावा मिला तथा इन्हीं दो अनाजों के लिए उच्च गुणवत्ता की तकनीक का इस्तेमाल हुआ.

 

----साल 1966-67 से 2012-13 के बीच चावल की खेती के मामले सिंचाई की सुविधा से संपन्न क्षेत्र 38 प्रतिशत से बढ़कर 59 प्रतिशत और गेहूं की खेती के मामले में सिंचाई की सुविधा से संपन्न क्षेत्र 48 प्रतिशत से बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया जबकि दालों के मामले में यह आंकड़ा 9 प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत तक ही जा सका है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए सहायक कुछ लिंक्स--

 

Feeling the Pulse Indian Pulses Sector

https://www.nabard.org/publication/rural-pulse-july-august
-2015.pdf

 

Pulse Farmers: Custodians of Fertility, Water and Climate-friendly Agriculture

https://sandrp.wordpress.com/2015/10/20/pulse-farmers-cust
odians-of-fertility-water-and-climate-friendly-agriculture
/

4th Advance production estimates of major crops during 2014-15

http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=126120

 

Vision 2050

http://www.iipr.res.in/pdf/vision_2050.pdf

 

Agricultural Statistics at a Glance 2014

http://eands.dacnet.nic.in/latest_2006.htm

 

Enabling pulses revolution in India

http://oar.icrisat.org/6096/1/EnablingPulses_Plicybrif_2012.pdf

 

 

India’s Pulses Sector: Trends, Challenges and Opportunities

https://www.goift.com/news/150710-indias-pulses-sector-tre
nds-challenges-and-opportunities-raghavan-sampathkumar/

 

PM Narendra Modi launches new channel for farmers offering weather information, new agricultural techniques

 

http://articles.economictimes.indiatimes.com/2015-05-27/ne
ws/62719342_1_dd-kisan-pm-narendra-modi-farmers
 

 

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार प्रभात खबर से) 



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