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बिहार में डेढ़ मीटर गहराई तक मिट्टी की खुदाई अब खनन नहीं, ईंट-भट्ठों को पर्यावरण मंजूरी से छूट

-डाउन टू अर्थ, अब बिहार में ईंटों के लिए बिना किसी पर्यावरण मंजूरी के ही मिट्टी का खनन करीब 1.5 मीटर तक किया जा सकता है। ईंट-भट्ठों के लिए भले ही यह राहत की खबर है लेकिन बिहार जैसे कृषि प्रधान सूबे के लिए यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल मिट्टी की ऊपरी परत काफी महत्वपूर्ण होती है और खासतौर से उपज के लिए बेहद अहम भूमिका निभाती है।...

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दिल्ली में 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई हवा की गुणवत्ता, AQI लेवल 400 पार

-आउटलुक, राजधानी दिल्ली के लोगों को शुक्रवार लगातार दूसरे दिन प्रदूषण का 'गंभीर' दंश झेलना पड़ा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार आज भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई। समिति के अनुसार, आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 408, द्वारका सेक्टर-8 में 405,अलीपुर में 403 जहांगीरपुरी में 423 पर दर्ज किया गया जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)...

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‘अर्थ में छिपा है अनर्थ’ जैसे 5 कारण जो गंगा को साफ नहीं होने देते

-द प्रिंट, गंगा की अविरलता और निर्मलता का मुद्दा, गगनभेदी नारों, दावों और वादों में उलझ कर रह गया है. सच के लगातार निर्माण के बावजूद गंगा साफ नहीं हो पा रही. हम यहां उन कारणों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जो गंगा को बहने नहीं देते. 1- क्योंकि अर्थ में छिपा है अनर्थ– जब आप गंगा के लिए ‘अर्थ गंगा’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो इसका सीधा मतलब...

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चुनावी गंगा: बिहार में 74 फीसदी सीवेज प्रदूषण झेल रही राष्ट्रीय नदी बनेगी 37वें मुख्यमंत्री की गवाह

-न्यूजलॉन्ड्री,  बिहार में चुनावी चाल तेज रफ्तार पकड़ चुकी है लेकिन मैदान में मंद गति के प्रवाह वाली गंगा चुप और उदास हैं. 10 नवंबर, 2020 को जब बिहार में चुनाव के नतीजे आएंगे तो मल-कीचड़, ठोस कचरा और उद्योगों से प्रदूषित राष्ट्रीय नदी का दर्जा रखने वाली गंगा सूबे के 37वें मुख्यमंत्री की साक्षी भी बन जाएंगी. यह भी संभव है कि जीतने-हारने वाले प्रत्याशी को शायद चुल्लू भर गंगाजल...

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असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील

-गांव कनेक्शन, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्टविवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए,2020) को एंटी-नॉर्थइस्ट (पूर्वोत्तर विरोधी) कहा जा रहा है। वैसे तो ईआईए में संशोधित प्रस्तावाओं का देशभर में विरोध हो रहा है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ईआईए के अपने निहितार्थ है। असम और ड्राफ्ट ईआईए 2020 1984 भोपाल गैस त्रासदी के बाद 1986 में पहली बार भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून बनाया गया था। इसी कानून के तहत...

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