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कठोरतम कानून न्याय का पर्याय नहीं--- निशा नाग

कठुआ और उन्नाव की बलात्कार की घटनाओं को लेकर फैले जन-आक्रोश के बीच ऐसे मामलों में फांसी की सजा दिए जाने की मांग को एक लोकप्रिय मांग बना दिया गया। इस दबाव का नतीजा यह हुआ कि बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चियों के साथ बलात्कार पर फांसी के प्रावधान वाला अध्यादेश केंद्र सरकार ने जारी कर दिया। यह अध्यादेश राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो चुका है।...

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बदलती हवा और गैर-पेशेवर पुलिस-- विभूति नारायण राय

पिछले कुछ दिनों से भारतीय मर्दों या लड़कों के वहशीपन के किस्से मीडिया में छाए हुए हैं। ऐसा नहीं है कि ये पुरुष अचानक जानवर बन गए हैं। दुधमुंही बच्चियां, छोटी-बड़ी लड़कियां और यहां तक कि बूढ़ी औरतें भी पूरी तरह से भारतीय समाज में कभी सुरक्षित नहीं रही हैं। भारतीय संस्कृति की महानता के कुछ पैरोकारों के इन दावे पर कि इसके लिए तेजी से बढ़ती पाश्चात्य मूल्यों की...

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व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत-- विराग गुप्ता

कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पाॅक्सो मामलों में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मौत की सजा से अपराधों का समाधान नहीं हो सकता है. उन्नाव और कठुआ रेप मामलों में देशव्यापी राजनीतिक असंतोष को भांपकर सरकार ने यू-टर्न लेते हुए 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा के लिए अध्यादेश जारी कर दिया. राष्ट्रपति की मंजूरी के...

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रेप पर मौत की सजाः कैबिनेट के अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी व्यक्तियों को मृत्युदंड तक की सजा देने संबंधी अध्यादेश को आज अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। केंद्रीय कैबिनेट ने कल उस अध्यादेश को अपनी स्वीकृति दी थी जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार करने के दोषी ठहराये गये व्यक्ति के लिये मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने की...

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फांसी से नहीं रुकेगा अपराध--- आकार पटेल

कठुआ और उन्नाव में जो कुछ भी हुआ, वैसी घटनाओं पर हमारे समाज को कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए! विश्वभर में भारत इस बात को लेकर बदनाम है कि यहां यौन हिंसा के कारण महिलाएं अौर बच्चे असुरक्षित हैं. और, अगर यह सच नहीं है, तब भी ऐसी सोच बन चुकी है. ईमानदारी से खुद के भीतर झांकने और यह पूछने के लिए हमें विदेशी मीडिया का सहारा नहीं लेना चाहिए,...

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