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कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-6: उत्तर प्रदेश के कई गांवों में एक भी ग्रामीण को नहीं मिला काम

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...

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कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-3: बिहार में मजदूरों को मांग के मुताबिक नहीं मिल रहा काम

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...

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दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?

इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...

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'हम कोरोना से बच भी गए तो ग़रीबी से मर जायेंगे' : जम्मू-कश्मीर के कामगार लड़ रहे ज़िंदा रहने की लड़ाई

-न्यूजक्लिक, जम्मू-कश्मीर में कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के विस्तार ने श्रमिक वर्ग के परिवारों के लिए अभूतपूर्व दुख पैदा किया है जो बस खाने भर का कमा पाते हैं। लॉकडाउन ने ऑटो रिक्शा चालकों, टैक्सी चालकों, शिकारा (हाउस बोट) के मालिकों, हस्तकला श्रमिकों, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों और संविदाकर्मियों को छोड़ दिया है, जो अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जैसा कि वे अपने घरों में सीमित रहते...

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गुजरात में हर चौथे दिन एक दलित महिला से होता है बलात्कार - बीबीसी एक्सक्लूसिव

-बीबीसी, गुजरात में बीते दस सालों के दौरान हुए अपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि हर चार दिन में अनुसूचित जाति की एक महिला के साथ बलात्कार होता है. यह जानकारी बीबीसी गुजराती के सूचना के अधिकार के इस्तेमाल के ज़रिए मांगी गई जानकारी के जवाब में गुजरात पुलिस मुख्यालय से मिली है. ये आंकड़े सरकार के सुरक्षित गुजरात के दावे के उलट हैं. महात्मा गांधी के गुजरात में भयावह आकंड़ों...

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