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सीएए विरोधी हिंसा: हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद लखनऊ प्रशासन ने फ़िर लगवाए आरोपियों के पोस्टर

-द वायर,  इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में राजधानी लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन के आरोपियों के पोस्टर नाम और पते के साथ एक बार फिर पुलिस और प्रशासन द्वारा लगवा दिए गए हैं. दो तरह के पोस्टर लगाए गए हैं, एक तरह पोस्टर में जिन्हें पुलिस को तलाश (वॉन्टेड) है उनकी जानकारी है, जबकि दूसरी तरह के पोस्टरों में ‘फरार’ लोगों का...

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सीबीआई एक ऐसा तोता है जिसे सभी राजनीतिक दल आजाद तो रखना चाहते हैं लेकिन तभी जब विपक्ष में हों

-सत्याग्रह, सीबीआई फिर सुर्खियों में है. दिल्ली की एक अदालत ने मोइन कुरैशी मामले की जांच के प्रभारी उसके संयुक्त निदेशक को एक समन भेजा है. इसमें उन्हें 17 नवंबर को पेश होने को कहा गया है. अदालत उनसे इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशकों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा की भूमिका के बारे में जानना चाहती है. वह इस हाई प्रोफाइल केस में जांच की धीमी गति से नाराज...

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बिहार एक बार फिर देश को रास्ता दिखा सकता है, रोज़गार बन रहा है चुनाव का केंद्रीय सवाल

-न्यूजक्लिक, बिहार चुनाव में मोदी जी की सीधी एंट्री 23 अक्टूबर से होने जा रही है। पहले चरण के चुनाव के एक सप्ताह पूर्व। वैसे उनके नम्बर दो के स्टार प्रचारक योगी जी 20 अक्टूबर से मैदान में उतर रहे हैं। (अपना हाथरस, बलिया वाला रामराज का UP मॉडल लेकर! ) सवाल यह है कि NDA के हाथ से जो बाजी निकलती जा रही है, क्या वे इसे पलट पाएंगे? चुनाव की घोषणा...

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यूपी में गन्ना किसानों का 8447 करोड़ रुपये बकाया, नए सीजन की कड़वी शुरूआत

-आउटलुक, अक्टूबर से गन्ने का 2020-21 का नया सीजन शुरू हो गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश में किसानों का बकाया खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। 30 सितंबर 2021 तक यूपी की मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 8447 करोड़ रुपये बकाया है। किसानों ने 2019-20 में जो गन्ना चीनी मिलों को बेचा था, उसका अभी तक पूरा भुगतान नहीं हो पाया है। पिछले सीजन में अक्टूबर से सितंबर...

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भारत में न्याय अब एक ऐसा शब्द है जो अपना मतलब खोता जा रहा है

-सत्याग्रह, साल 2000 में अपने एक व्याख्यान में चर्चित अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन ने कहा था कि ‘भारत में अगर कोई गरीब है तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह किसी ग्रामीण इलाके में रह रहा होगा, अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर सामाजिक रूप से पिछले वर्ग से ताल्लुक रखता होगा, कुपोषित, बीमार या फिर कमजोर स्वास्थ्य वाला होगा, अनपढ़ या फिर कम पढ़ा-लिखा होगा और कुछ खास राज्यों (जैसे बिहार,...

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