जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...
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चीनी की कम होती मिठास - के सी त्यागी
जनसत्ता 14 अक्तूबर, 2014: महाराष्ट्र की चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में स्वीकार किया कि प्रतिवर्ष लगभग सैंतीस सौ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, मगर दूसरी तरफ उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा दिया जाने वाला (समर्थन मूल्य के अतिरिक्त) बोनस रोकने का फैसला किया है। केंद्रीय खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने...
More »आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...
More »प्रवासी श्रमिक : जो लौट के घर ना आए - रमेश नैयर
युद्ध में धंसे इराक से किसी प्रकार दो-एक सौ कामगारों को मुक्त कराके स्वदेश लाया जा सका है। उनके जीवन और मृत्यु के बीच झूलते रहे दिनों के अनुभव व्यथित करते हैं। वे 40 लाख से अधिक उन प्रवासी भारतीयों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराते हैं, जो मध्यपूर्व के देशों में काम कर रहे हैं। उनका वर्तमान आजीविका के जुगाड़ में खप रहा है। भविष्य असुरक्षा भरे अनिश्चय की...
More »चुनावी चावल से लगी 5 सौ करोड़ की चपत, हर महीने मिलते रहा 35 किलो चावल
रायपुर. राज्य सरकार ने चुनाव के ठीक पहले बनाए गए जिन छह लाख राशनकार्डों को निरस्त किया है उनसे सरकार को 500 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। विधानसभा चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिकार कानून के तहत अभियान चलाकर ये राशन कार्ड बनाए गए थे। इन्हें सालभर तक 35 किलो चावल हर महीने दिया गया। अब सरकार ने एक सदस्य वाले इन कार्डों को अपात्र घोषित कर दिया...
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