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भारत के सबसे पिछड़े जिले से तीन महिलाओं की भूख और उससे जुड़े संघर्ष की कहानी

इंडियास्पेंड, 02 दिसंबर नवम्बर महीने के दूसरे सप्ताह के बुधवार को रेखा देवी, उम्र लगभग 40 वर्ष, अपने घर से तकरीबन 500 मीटर दूर एक खेत में कम्पैन मशीन के पीछे अपने बच्चों के साथ धान की बालियां बीन रही थीं। पूछने पर वह कहती है की इन गिरी हुई बालियों से उनके परिवार का गुजारा होता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से तकरीबन 170 किलोमीटर पूरब में भारत और नेपाल...

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मनरेगा: भारतीय महिलाओं के लिए अंतिम और एकमात्र आय का सहारा

इंडियास्पेंड, 22 नवम्बर चंचल कुमारी का जन्म साल 2002 में हुआ। उस साल राजस्थान सूखाग्रस्त भी था। दो साल से राज्य में पीने या फसल बोने के लिए पानी की भारी कमी थी, मवेशी मर रहे थे। चंचल का परिवार भी भुखमरी के कगार पर था। उनके पिता राजू सिंह एक मजदूर थे। उन्हें काम की तलाश में अपना गांव छोड़ना पड़ा। जैसे-जैसे आजीविका चौपट हुई, रोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए...

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अधर में अटकी बिजली परियोजनाओं ने बदला झारखंड के चंदवा का भविष्य

 मोंगाबे हिंदी, 14 नवम्बर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर चंदवा कस्बे में प्रवेश करने से पहले एक गेट है। इस पर लिखा है – औद्योगिक नगरी चंदवा में आपका स्वागत है। लेकिन कस्बे के अंदर घुसते ही चारों तरफ हताशा और निराशा दिखाई देती है। एक वक्त था जब यहां दो पावर प्लांट (ताप विद्युत घर) का निर्माण तेजी से हो रहा था। तब ऐसा लगता था...

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महामारी के काल में 'महिला कर्मी' और उनका 'मेहनताना'

किसी भी शख्स को रोटी, कपड़ा और मकान सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। अधिकतर लोग पैसे कमाने के लिए रोजी करते हैं। लेकिन क्या आप ऐसी नौकरी करेंगे जहां आपको मजदूरी ही ना मिले? हमने पिछले न्यूज अलर्ट में ऐसे लोगों की पड़ताल की थी, जिन्हें किसी भी प्रकार का वेतन नहीं मिलता था। इस न्यूज़ अलर्ट में, महामारी के समय में,...

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केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!

बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...

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