संगठित क्षेत्र में रोजगार में कमी के रुझान साल 2017-18 के पहली तिमाही में भी जारी रहे. रोजगार के रुझानों से संबंधित हाल की नई रिपोर्ट से इस बात के संकेत मिलते हैं.तिमाही रिपोर्ट छठे दौर की गणना पर आधारित है और इसे लेबर ब्यूरो ने जारी किया है. रिपोर्ट में 1 जुलाई 2017 तक की स्थितियों का आकलन है. ब्यूरो की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 की...
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मात्तृत्व बनाम सफलता की सीड़ियां-- विशेष गुप्ता
आजकल आइटी क्षेत्र से जुड़ी कुछ खास कंपनियों में महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर काफी जोर है। आंकड़े भी बताते हैं कि भारत में ऐसी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं की संख्या एक तिहाई को पार कर गई है। आज तमाम आइटी कंपनियों में महिला कर्मी पुरुष कर्मियों के मुकाबले अपनी बेहतर कार्यक्षमता के साथ आगे आई हैं। ‘इंडिया इंक' का रुझान भी आजकल इन कारोबारी कंपनियों में ज्यादा से...
More »'भारत' वाला बजट, इंडिया वाला नहीं-- संदीप बामजई
उपकार फिल्म का एक गाना है- मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा मोती... आम बजट 2018-19 पूरी तरह से इस गाने के सच को पूरा करनेवाला लगता है. यह बजट कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है. यानी यह बजट 'भारत' को ज्यादा तरजीह देनेवाला बजट है, 'इंडिया' को कम. ग्रामीण भारत के लिए, गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के लिए, राष्ट्रीय राजमार्गों के...
More »आधार पर निराधार हैं आपत्तियां - रविशंकर प्रसाद
देश की विकास यात्रा में आधार क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। यह बिचौलियों व भ्रष्टाचार को खत्म कर गरीबों तक उनका हक पहुंचा रहा है। डिजिटल समावेशन व डिजिटल सशक्तीकरण डिजिटल इंडिया के दो प्रमुख लक्ष्य हैं, जिन्हें हासिल करने में आधार अहम भूमिका निभा रहा है। यह सुरक्षित होने के साथ-साथ डिजिटल इंडिया के परिवर्तनकारी व समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक किफायती और सशक्त माध्यम...
More »अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...
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