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एक नागरिक के तौर पर प्रवासी

-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...

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मनरेगा, जरूरी या मजबूरी-1: 85 फीसदी बढ़ गई काम की मांग

-डाउन टू अर्थ, 14 साल पुरानी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना एक बार फिर चर्चा में है। लगभग हर राज्य में मनरेगा के प्रति ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारों का रूझान बढ़ा है। लेकिन क्या यह साबित करता है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है या अभी इसमें काफी खामियां हैं। डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है, जिसे एक सीरीज के तौर पर...

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प्रवासी मजदूरों के पास न खाना बचा है और न पैसे बचे हैं! घर पहुंचने के लिए तकलीफें उठाईं सो अलग..

इस महामारी काल में 5 जून को, विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के एक स्वयंसेवक समूह ‘स्ट्रान्डेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क’ ने अपनी तीसरी रिपोर्ट ‘टू लीव या नॉट टू लीव? लॉकडाउन, माइग्रेंट वर्कर्स एंड देयर जर्नीज् होम’ जारी की. इस नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन प्रवासी मजदूरों ने स्वान के स्वयंसेवकों को सहायता के लिए फोन किया (15 मई और 1 जून के बीच 821...

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तमिलनाडु में लॉकडाउन के दौरान जातीय अत्याचारों में पांच गुना वृद्धि : दलित संगठन

-कारवां, 29 मार्च को तिरुवनमन्नई जिले के मोर्रप्पाथंगल गांव में भीड़ ने कुल्लथुर समुदाय के 24 वर्षीय सुधाकर मुरुगेसन की हत्या कर दी. यह समुदाय तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत है. सितंबर 2019 में सुधाकर ने हिंदू जाति की गौंडर समुदाय की एक महिला शर्मिला से शादी की थी. यह समुदाय तमिलनाडु में पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत है. सुधाकर के पिता मुरुगेसन ने बताया, ''सुधाकर और...

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कोरोना: लॉकडाउन में मनरेगा योजना बन गई है मज़दूरों की लाइफ़लाइन

-बीबीसी,  छत्तीसगढ़ सरकार ने महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना में पूरे देश में सबसे अधिक मज़दूरों को काम देने का दावा किया है. भारत सरकार के शनिवार तक के आंकड़ों के अनुसार ई-मस्टर रोल में दर्ज संभावित कार्यशील मज़दूरों की संख्या छत्तीसगढ़ में 23,26,252 है. मज़दूरों की यह संख्या पूरे देश में सबसे अधिक है. इसके अलावा पिछले 9 दिनों में ही छत्तीसगढ़ ने 1 करोड़ 89 लाख मानव दिवस का रिकार्ड...

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