नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड की सरकार भारत को संदिग्ध बैंक खातों के बारे में अब संबंधित व्यक्ति की सीमित जानकारी के आधार पर सूचना उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। इससे विदेशों में कालाधन छुपाने वाले नागरिकों को कानून के शिकंजे में लेने की भारत सरकार की कोशिशों को बड़ा बल मिलने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच 20 अप्रैल को एक पारस्परिक सहमति हुई जिसके तहत स्विट्जरलैंड सरकार...
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विकास की बंद गली- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...
More »बनायें व्यावहारिक लोकपाल लेखक पूर्व राज्यपाल हैं - प्रभात कुमार
अन्ना हजारे द्वारा जनलोकपाल बिल के लिए शुरू किया गया आंदोलन बहुत ही सफ़ल रहा. उनके प्रति शहरी मध्य वर्ग का जो आकर्षण है, उसने बखूबी काम किया. लोकतंत्र में नागरिकों को अधिकार है कि वे अपनी समस्याओं के बारे में कहें और अपने जनप्रतिनिधियों से इसके निदान की मांग करें. यदि ये जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखते या फ़िर उसका हल नहीं निकाल सकते, तो उचित ही होगा कि...
More »आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?
जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...
More »सूचना आयुक्त ही दबा रहे हैं जानकारी -- सचिन जैन और रोली शिवहरे
हमने तंत्र और उसे चलाए रखने वाले लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सूचना के अधिकार कानून की पैरवी की थी, परन्तु जब सरकार इसे लागू करने के लिये जिम्मेदार आयोगों में नौकरशाहों को नियुक्त करने लगती है तब हमें चौकन्ना हो जाना चाहिये. अपने सेवाकाल के करीब तीस सालों या 12775 दिनों में तंत्र के हिस्से के रूप में काम करते हुये जिन लोगों ने उसे गैर जवाबदेह बनाया,...
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