-इंडिया टूडे, दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों की जांच ने इस सप्ताह नया मोड़ ले लिया जब दिल्ली सरकार और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट, में दिल्ली पुलिस पर जांच में 'पक्षपात' और हिंसा में 'लिप्तता' का आरोप लगाया. रिपोर्ट को नौ सदस्यों के पैनल ने तैयार किया है जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.आर. शमशाद कर रहे थे. यह दंगों पर अधिकृत किसी एजेंसी की...
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अनुच्छेद-370 हटाए जाने के एक साल पूरे होने पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां
-आउटलुक, कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने के एक साल पूरा होने के बाद कश्मीर में कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की दिशा में भी ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। 370 हजाए जाने की पहली वर्षगांठ के मौके पर हिंसा और प्रदर्शनों के इनपुट मिलने के बाद कश्मीर में पाबंदियां लगाई गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि घाटी में, खासकर श्रीनगर शहर में पुलिस और सीआरपीएफ...
More »मनरेगा जरूरी या मजबूरी-7: शहरी श्रमिकों को भी देनी होगी रोजगार की गारंटी
-डाउन टू अर्थ, 2005 में शुरू हुई महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना एक बार फिर चर्चा में है। लगभग हर राज्य में मनरेगा के प्रति ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारों का रूझान बढ़ा है। लेकिन क्या यह साबित करता है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है या अभी इसमें काफी खामियां हैं। डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है, जिसे एक सीरीज के तौर...
More »राजनीति से प्रेरित है दिल्ली हिंसा की पुलिस जांच : अपूर्वानंद
-कारवां, अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर होने के साथ एक मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत हिंदुत्व के उभार पर बेबाकी से लिखा और बोला है. पिछले साल दिसंबर में जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे थे तो अपूर्वानंद ने इस कानून के खिलाफ निरंतर आवाज उठाई. साथ ही वह...
More »भोपाल गैस त्रासदी: 35 साल बाद भी नहीं मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ़ और मुआवजा
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की गैस त्रासदी को 35 बरस हो गए और आज तक पीड़ितों को पूरी तरह मुआवजा तक नहीं मिल पाया है. वहीं, जहरीली गैस की शिकार हुई नई पीढ़ी इस मुआवजे के आकलन में ही शामिल नहीं है. गैर सरकारी संस्थान भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉरमेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना धिंगरा ने बताया कि सूचना के अधिकार से यह स्पष्ट हुआ है...
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