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न्यूनतम मजदूरी का सवाल-- मनींद्र नाथ ठाकुर

बढ़ती महंगाई को देखते हुए देश में क्या न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाया जाना चाहिए? यह सवाल इसलिए भी उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि दिल्ली और ओड़िशा के सरकारों ने इसमें महत्वपूर्ण पहल करने का निर्णय लिया है? पूंजीवादी विकास के तीन आधार हैं और उनमें एक संतुलन बनाये रखने का काम राज्य के जिम्मे होता है. पहला आधार है पूंजी, जिसके मालिकों को इस बात के लिए प्रेरित करना...

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जाति से आगे नहीं सोचती राजनीति-- बद्री नारायण

जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...

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सूखे में हो रही बारिश-- कुमार प्रशांत

किसान खुशहाल हो गये! अब किसान नेता अपने-अपने अांदोलन वापस ले लें. सूखे के अांकड़ों की ऐसी बारिश हुई है कि धरती अाप्लावित हो गयी है. प्रधानमंत्री ने कबीर-भूमि पर जाकर शताब्दियों का ऐसा कॉकटेल बनाया कि इतिहास अौर इतिहासकार सभी चारों खाने चित हो गये.   उन्होंने ‘मेरे किसान भाइयों' की तरफ नजर घुमायी अौर एक ऐसी लकीर खींच दी कि किसान इधर अौर समस्याएं उधर रह गयीं. किसानों को...

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अराजकता की आती आहटें-- पवन के वर्मा

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र संघ के कार्यालय में वर्ष 1938 से लगी मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर इस यूनिवर्सिटी में अशांति के चालू दौर में एक-दूसरे से बिलकुल अलग दो विचारणीय विषय हैं. पहला, क्या एएमयू में ऐसे व्यक्ति की तस्वीर लगी रहनी चाहिए, जिसने भारत विभाजन हेतु सक्रियता से कार्य किया, पाकिस्तान बनवाया और हिंदुओं तथा मुसलिमों के बीच नफरत को हवा दी? दूसरा, यदि...

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श्रमिक वर्ग का सर्वहारा समीकरण-- हरजिंदर

बात लगभग तीन साल पहले की है। न्यूयॉर्क में अमेरिका के लेफ्ट फोरम यानी वाम मंच ने तीन दिन का एक सम्मेलन किया। इसमें दुनिया भर के कई कार्यकर्ता जमा हुए। तमाम विश्वविद्यालयों के कई नामी-गिरामी प्रोफेसर वहां आए। अपनी सोच से दुनिया की एकमात्र वास्तविक व्याख्या का दावा करने वाले ‘फ्री थिंकर' भी वहां भारी संख्या में थे। गायक, कलाकार, रंगमंच के निर्देशक, अभिनेता, कुल मिलाकर बौद्धिक जगत की...

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