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मेधा की गिरफ्तारी का विरोध, प्रदर्शन करेंगे किसान

अंबरीश कुमार, लखनऊ। समाजवादी पार्टी मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और किसान नेता सुनीलम के समर्थन में खुल कर सामने आई और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार को पूंजीपतियों के साथ खड़ा होने और किसानों की जमीन छीनने वाला बताया। समाजवादी पार्टी ने आज यहां कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की गिरफ्तारी और किसान नेता  सुनीलम को उम्रकैद की सजा से साफ है कि कांग्रेस और भाजपा की...

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मेधा पाटकर को जेल भेजे जाने पर भड़के किसान

अंबरीश कुमार, लखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को रविवार की आधी रात  सत्याग्रह से उठाकर गिरफ्तार कर छिंदवाड़ा जिले में जेल भेजे जाने का कई किसान संगठनों और जन संगठनों ने विरोध किया है। किसान मंच, भारतीय किसान यूनियन, किसान संघर्ष समिति, इंसाफ के अलावा गांधीवादी और समाजवादी संगठनों ने भी मेधा पाटकर की गिरफ्तारी का विरोध किया है। किसान संगठन इसके विरोध में कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे...

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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न: नियामक संस्थाएं गठित करें समितियां: कोर्ट

नयी दिल्ली, 19 अक्तूबर (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने 15 साल पुराने विशाखा प्रकरण में दी गयी व्यवस्था का दायरा बढ़ाते हुए बार काउन्सिल ऑफ इंडिया और भारतीय चिकित्सा परिषद जैसी सभी नियामक संस्थाओं को आज निर्देश दिया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों से निबटने के लिए वे अपने यहां समितियां गठित करें। न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मेधा कोतवाल लेले की याचिका पर...

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भारत बाल-मृत्यु के मामले में सबसे आगे- यूनिसेफ की रिपोर्ट

जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के देशों में दूसरे नंबर पर मौजूद भारत बाल-मृत्यु के मामले में दुनिया के सभी देशों से आगे है। इस महीने (सितंबर 2012) यूनिसेफ की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 में पाँच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे भारत में काल-कवलित हुए। भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की संख्या बीते साल नाइजीरिया, डिमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑव कांगो...

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मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण

मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट...

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