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पानी साफ करने के इंतजाम के अभाव में नदियां हो रहीं दूषित, कई राज्यों की स्थिति चिंताजनक

नई दिल्ली: जलशोधन यानी कि पानी को साफ करने के पर्याप्त इंतजामों के अभाव में देश में न केवल नदियों, तालाबों और जलाशयों का पानी जहर बनता जा रहा है बल्कि खेती में रसायानिक खादों के अत्याधिक इस्तेमाल के कारण भूजल भी दूषित हो रहा है. भूजल दूषित होने के मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में चिंताजनक स्थिति है. नदियों में दूषित जल के प्रवाह और आर्सेनिक एवं...

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पानी के बहाव का आपदा बन जाना-- दिनेश मिश्र

बहते पानी में अगर थोड़ी देर खड़ा रहना पड़ जाए, तो पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगती है, और जब जमीन सिर्फ रेत की बनी हो, तो पानी में संभलना बहुत मुश्किल हो जाता है। जमीन खिसकने का यह मुहावरा ऐसे ही किसी बाढ़ वाले क्षेत्र में ईजाद हुआ होगा। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक बिहार में 12 जिले बाढ़ से त्रस्त हैं, 921 ग्राम पंचायतों में एक...

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जंगलों की विरासत सहेजते आदिवासी - बाबा मायाराम

छत्तीसगढ़ के मैकल पहाड़ की तलहटी में बसे आदिवासी वन अधिकार पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उनकी उम्मीदें राज्य में नई सरकार बनने से बढ़ गई हैं, जो स्वयं भी वन अधिकार देने की प्रक्रिया चला रही है। गांवों में जगह-जगह आदिवासी सामुदायिक वन अधिकार के लिए दावा कर रहे है।   हाल ही मैंने बिलासपुर जिले के करपिहा,जोगीपुर,बैगापारा, मानपुर, सरईपाली आदि कई गांवों का दौरा किया, जहां वन...

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जानें क्यों जंगलों में बीज बम फेंक रहे हैं ये युवा-- त्रिलोचन भट्ट

पहाड़ों में वन्य जीवों के कारण खत्म होती खेती को बचाने के लिए यहां के कुछ युवाओं ने एक अभिनव प्रयास शुरू किया है और इसे नाम दिया है ‘बीज बम'। इस प्रयास को पूरे पर्वतीय क्षेत्र में लोगों की आदतों में शामिल करके इसे एक आंदोलन का रूप देने की तैयारी में जुटे ये युवा फिलहाल आगामी 25 से 31 जुलाई तक पूरे उत्तराखंड और कुछ अन्य राज्यों...

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जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी

शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...

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