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किस हाल में है देश के बुजुर्ग , 2016 में कितने हुए बुजुर्गों के खिलाफ अपराध, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में..

बीते तीन सालों में देश की बुजुर्ग आबादी के खिलाफ हुई अपराध की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के नये आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के नागरिकों के खिलाफ देश में कुल 21,410 मामले प्रकाश में आये. साल 2014 में बुजुर्ग लोगों के खिलाफ अपराध के कुल 18,714 मामले प्रकाश में आये थे जबकि 2015 में ऐसे अपराधों की संख्या 9.7 प्रतिशत...

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खाद्य सुरक्षा पर रस्साकशी-- रविशंकर

अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ग्यारहवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इसमें हिस्सा ले रहे देश खाद्य व कृषि सबसिडी को लेकर आम राय नहीं बना सके। क्योंकि अमेरिका व अन्य विकसित देश बहुपक्षीय व्यापार संस्था के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मसले का स्थायी समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए। भारत और उसके साथ खड़े डब्ल्यूटीओ...

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स्वास्थ्य सेवा का सस्ता और कारगर विकल्प हो सकता है 'एमहेल्थ' -- नई रिपोर्ट

देश के स्वास्थ्य ढांचे का 70 फीसद हिस्सा सिर्फ 20 शहरों तक सीमित है. ऐसे में अचरज की बात नहीं जो 30 फीसद भारतीय प्राथमिक स्तर की भी चिकित्सा सुविधा से वंचित है. तो फिर सबको स्वास्थ्य सुविधा फराहम करने का लक्ष्य कैसे हासिल हो ?   कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री(सीआईआई) द्वारा जारी एक नीति-पत्र के मुताबिक इस समस्या का समाधान हो सकता है हमारे-आपके हाथ में मौजूद मोबाइल फोन. (देखें नीचे...

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ट्रेन में भीख मांगकर प्रोफेसर ने जुटाए 1 करोड़, गरीब बच्चों के लिए खोले स्कूल

अभिषेक शर्मा, इंदौर। मरीन इंजीनियर के रूप में करियर शुरू कर प्राइवेट कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट और देश के जाने माने संस्थान एसपी जैन मैनजमेंट कॉलेज के प्रोफेसर संदीप देसाई जिंदगी के एक ऐसे सफर में हैं, जिस पर चलना हर किसी के लिए संभव नहीं है।   लाखों का पैकेज छोड़ गांव के गरीब बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा दिलाने की जिद लिए संदीप देसाई ने मुंबई की लोकल...

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कहीं बैंकों से भरोसा ना उठ जाय-- बिभाष कुमार श्रीवास्तव

अमेरिका में आए 2008 के वित्तीय भूचाल से पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मच गई थी। बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सरकार ने बेल-आउट पैकेज के माध्यम से उबारा। बेल-आउट का जबर्दस्त विरोध किया गया। लोगों ने कहा कि ‘करदाताओं' के पैसे से किसी विफल होती संस्था को उबारना नैतिक खतरे (मोरल हजार्ड) पैदा करता है। तब वित्तीय मामलों के जानकारों की तरफ से ‘बेल-इन' की नई अवधारणा पेश की गई।...

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