देश की अर्थव्यवस्था से आजकल अजीब इशारे मिले हैं। बीते अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसद गिरा। जुलाई से सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन देशी-विदेशी पूंजीपति नया निवेश करने से कतरा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हमारा देश ‘बैलेंस शीट रिसेशन' के...
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निजी कर्मचारियों पर पड़ेगी अभावग्रस्त बुढ़ापे की मार
नई दिल्ली, ब्यूरो। निजी क्षेत्र में काम करने वाले 92 फीसद कर्मचारी अगर समय रहते नहीं चेते तो उन्हे बेहद तनावपूर्ण व आर्थिक तंगी से जूझते बुढ़ापे के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में बेहतर पेंशन उत्पादों की कमी, लोगों के बीच जागरूकता का अभाव और सरकार व निजी क्षेत्र की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं देने की वजह से अधिकांश प्राइवेट कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए कोई सुविधा...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
More »GDP ग्रोथ रेट 5.5 फीसदी रहने का अनुमान, निवेश की रफ्तार अब भी सुस्त
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद में अर्थव्यवस्था की छमाही समीक्षा जारी करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2014-15 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ का अनुमान 5.5 फीसदी रखा है। जारी समीक्षा के मुताबिक, अब भी देश में निवेश की गति तेज नहीं है। ऐसे में जीडीपी की ग्रोथ 5.5 फीसदी रह सकती है। हालांकि, सरकार ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 में...
More »काली कमाई : 'वहां' से ज्यादा 'यहां' - मोहन गुरुस्वामी
नई दुनिया(अग्रलेख) काले धन की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने सर्वोच्च अदालत को यह महत्वपूर्ण जानकारी दी कि भारतीयों का स्विस बैंकों में जहां 4,479 करोड़ रुपए का काला धन जमा है, वहीं अपने देश में ही 14,958 करोड़ काला धन है! यह जानकारी निश्चित ही चौंकाने वाली है, लेकिन इसके बावजूद इसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अर्थव्यवस्था की बारीकियों पर नजर रखने वालों को...
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