SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 560

तो सरकार, किसानों के जरिए जीतना चाहती है चुनाव!

चुनाव की दहलीज पर खड़ी यूपीए सरकार की उम्मीदें एक बार फिर कृषि क्षेत्र पर आ टिकी हैं। चुनाव की दहलीज पर खड़ी यूपीए सरकार की उम्मीदें एक बार फिर कृषि क्षेत्र पर आ टिकी हैं। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने किसानों को लुभाने के लिए सस्ते कर्ज को हथियार बनाया है। उन्होंने ऐलान किया कि कृषि ऋण पर मिलने वाली 2 फीसदी ब्याज छूट और समय से भुगतान करने...

More »

मर रहे हैं मनरेगा मजदूर-ब्रजेश कुमार झा

पार्वती देवी की बात सुनकर कोई भी सन्न रह जाएगा। वह कहती है, “मनरेगा की वजह से मेरे पति की जान चली गई।” पार्वती देवी दत्ता मघादे की विधवा है। उम्र 45 साल है। गरीबी में डूबी है। इसके बावजूद आगे कहती है, “मैं जिंदगी में दोबारा मनरेगा मजदूरी नहीं करुंगी।” पार्वती देवी जो बता रही है, उससे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की हकीकत बेपर्दा होती है। हालांकि,...

More »

विषमता का विकास- सुषमा वर्मा

जनसत्ता 17 फरवरी, 2014 : विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन  किया कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले पंद्रह बरस में बढ़ कर बारह गुना हो गई है। क्रिस्टीना के अनुसार, इन मुट्ठी भर अमीरों के पास इतना पैसा है जिससे पूरे देश की गरीबी को एक नहीं, दो बार मिटाया जा सकता है। लेगार्ड के इस बयान से पुष्टि होती है...

More »

डूबते को तिनके का सहारा..

कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा होता है। यह कहावत “निजो गृह-निजो भूमि” कार्यक्रम के हितग्राही पश्चिम बंगाल के भूमिहीन परिवारों पर सटीक बैठती है। इंटरनेशनल फूड एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इंडिया स्टेट हंगर इंडेक्स(2008) में पश्चिम बंगाल में भुखमरी की दशा को खतरनाक करार दिया था। समस्या से निपटने के दूरगामी उपाय के रुप में पश्चिम बंगाल की सरकार ने राज्य के भूमिहीन परिवारों को आवास और खेती-बाड़ी...

More »

त्वरित और सस्ता न्याय पाने की सुविधा

मित्रों, अदालत, मुकदमा और पुलिस को लेकर अनेक कहावतें और लोकोक्तियां प्रचलित हैं. इन सभी कहवतों और लोकोक्तियों में इन्हें तबाही और परेशानी का सबब बताया गया है, जबकि अगर पुलिस, अदालतें और मुकदमे दायर करने के जनता को अधिकार न हों, तो समाज में अराजकता अपनी पराकाष्ठा पर होगी. हम सुरक्षित नहीं रह सकते. हमारे मानवीय अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकती. हर कोई अपनी ताकत और धन की बदौलत...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close