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अनिश्चितता का माहौल, टूट रही है मनरेगा से रोजगार की आस

रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर अनिश्चितता का माहौल इस कदर है कि राज्य में रोजगार की मांग करने वाले लाखों लोगों को काम नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि जिलों में सरपंचों से लेकर अफसरों तक को आशंका है कि काम करवाने के बाद भुगतान कब होगा? हालत यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या...

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स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से अब भी कोसो दूर हैं ग्रामीण परिवार

केवल 15 फीसद ग्रामीण परिवार ही रसोई के लिए एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं जबकि शहरों में दो तिहाई परिवार स्वच्छ ईंधन माने जाने वाले इस रसोईगैस के उपयोग करते हैं.   नेशनल सैंपल सर्वे के 68वें दौर की गणना पर आधारित रिपोर्ट के तथ्य संकेत करते हैं स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल में शहर और गांव तथा जातिगत-वर्गगत भेद मौजूद है.(देखें नीचे दी गई लिंक)   रिपोर्ट के अनुसार दो तिहाई ग्रामीण परिवार...

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विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन

देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...

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अब मनरेगा श्रमिकों के खातों में सीधे जाएगी मजदूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा के तहत काम में लगे श्रमिकों को मजदूरी सीधे उनके खातों में जारी करने को मंजूरी प्रदान कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने मनरेगा के बेहतर क्रि यान्वयन और राज्यों के बेहतर सशक्तिकरण के लिए इस योजना को मंजूरी दी. योजना के तहत मनरेगा की मजदूरी राज्य रोजगार गारंटी कोष विंडो का इस्तेमाल करते हुए सीधे मजदूरों के खातों में जारी की जाएगी....

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सदियों के अन्याय पर माफी कब- सुरेन्द्र कुमार

एक भाषण कितना बड़ा बदलाव ला सकता है! बेशक यह नेहरू के अविस्मरणीय भाषण 'नियति के साथ भारत की भेंट' और मार्टिन लूथर किंग की भावनात्मक प्रेरणा 'मेरा एक सपना है' के स्तर का न हो, लेकिन बीती 14 जुलाई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शशि थरूर का पंद्रह मिनट का भाषण भारत में 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन पर हाल के दिनों का सबसे तीक्ष्ण, प्रभावशाली और कटु आलोचना...

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