जनसत्ता 30 जुलाई, 2014 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तरह भारत से गरीबी मिटाने का संकल्प लिया है। समाजवादी दौर में चले सरकारी प्रचार ने शिक्षितों में यह भाव गहरा कर दिया है कि समाज की प्रत्येक विषमता, विपदा और विकृति को हटाने का दायित्व सरकार का है। सरकार ही तारणहार है, वही मसीहा है, वही पैगंबर है। वही चमत्कारिक शक्ति है। वस्तुत: शिक्षा और मीडिया पर...
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बजट के पीछे की राजनीति- नीलोत्पल बसु
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आम बजट पेश करके देश के सामने विकास का रोडमैप रखा है. इस बजट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और विशेषज्ञ क्या सोचते हैं. ‘बजट के पीछे की राजनीति' पर ‘प्रभात खबर' एक सीरीज शुरू कर रहा है. इसी सीरीज में आज पढ़ें पहली कड़ी. एनडीए सरकार द्वारा पेश आम बजट और रेल बजट आम लोगों के लिए निराश करने वाला रहा. आम बजट...
More »ज्यां द्रेज़: सामाजिक नीति का कथा पुराण
आज शायद ही किसी को वह चिट्ठी याद होगी जिसे सात अगस्त 2013 को नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा था. इस चिट्ठी में मोदी ने दुख जताया था कि "खाद्य सुरक्षा का अध्यादेश एक आदमी को दो जून की रोटी भी नहीं देता." खाद्य-सुरक्षा के मामले पर लोकसभा में 27 अगस्त 2013 को बहस हुई तो उसमें भी ऐसे ही मनोभावों का इज़हार हुआ. तब भारतीय जनता पार्टी के...
More »स्त्री सशक्तीकरण की शर्तें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 16 जून, 2014 : बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बदायूं के कटरा सादतगंज गांव में पहुंचने वाले राजनीतिकों को उपेक्षा से नहीं लेना चाहिए। न इस जमात के दूर से ऊलजलूल अर्द्ध-सत्य बोलने वालों को। दरअसल, इन सतही कवायदों में स्त्री-सशक्तीकरण के पैरोकारों के लिए एक निहित संदेश है- स्त्री-विरुद्ध हिंसा के मसलों पर समग्र राजनीतिक एजेंडे की सख्त जरूरत है। मीडिया, एनजीओ और कानून...
More »सस्ती जमीन, पर बेशकीमती रोजगार- एम एन बुच
इन आम चुनावों में गुजरात सरकार पर बार-बार आरोप लगाया जा रहा है कि उसने पूंजीपतियों को कौड़ियों के मोल जमीन बांट दी है। इसमें व्यक्ति विशेष का उल्लेख किया जा रहा है, परंतु यह नहीं बताया जा रहा कि राज्य सरकार की नीति ही है कि उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए औद्योगिक इकाइयों को इसी दर पर जमीन दी जाए। यदि आवंटन में और आवंटन शुल्क में पक्षपात...
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