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बेहाल किसान और ढेर सारी योजनाएं- जयंतीलाल भंडारी

इस समय देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी और देहातों में बढ़ती परेशानी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि खराब मौसम की मार के चलते कृषि क्षेत्र का संकट इस साल और गहराने की आशंका है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार के असामान्य व्यवहार और कीमतों में गिरावट...

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फसल किसकी और फायदा किसे? - देविंदर शर्मा

मुझे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बहुत उम्मीदें थीं। गए साल बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में बड़ी मात्रा में फसलें तबाह हो गई थीं। कई किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। ऐसे में किसान उत्सुकतावश नई फसल बीमा योजना की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे। हालांकि नई योजना को सरकार की ओर से गेमचेंजर बताया गया, लेकिन मैं जब इसकी...

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छत्तीसगढ़ के सुगंधित चावल ब्रांड की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाले सुगंधित चावल की स्थानीय किस्मों को ब्रांड के रूप में डेवलप करेंगे। इन ब्रांड की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग होगी। वहीं फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर स्थानीय स्तर पर ढेरों प्रोडक्ट तैयार करने को लेकर भी सहमति दिखी। सम्मेलन में पहुंचे मिलर्स को यह सुझाव कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिया, जिस पर उन्होंने सहमति जताई। श्री अग्रवाल ने कहा...

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रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम

किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....

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किसानों को उचित दाम दीजिए- भरत झुनझुनवाला

किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनशील दिखती है, पर मात्र संवेदनशीलता से बात नहीं बनती है. पाॅलिसी की दिशा भी सही होनी चाहिए. मात्र उत्पादन बढ़ाने से किसान का उद्धार नहीं होगा. साठ के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेत परती पड़े रहते थे. सिंचाई रहट और ढेकली से होती थी. आज पूरे क्षेत्र में ट्यूबवेल का जाल बिछ गया है. बैल के स्थान पर ट्रैक्टर से खेती हो...

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