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पीडब्ल्यूसी और सीआईआई की रिपोर्ट- भारत में 70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाएं शीर्ष 20 शहरों तक हैं सीमित

भारत की 70 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा शीर्ष 20 शहरों तक ही सीमित है। इसके अलावा 30 फीसदी भारतीय हर साल स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च की वजह से गरीबी रेखा की जद में आ जाते हैं। पीडब्ल्यूसी और सीआईआई द्वारा संयुक्त रूप से जारी किए गए ‘कैसे एमहेल्थ भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकता हैं', नामक ज्ञान पत्र के मुताबिक, भारत में 30 फीसदी लोग...

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मक्के की खेती और पर्यावरण-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

बिहार के गांवों में मक्के की फसल लहलहा रही है. मेरा एक मित्र विदेश में रहता है, वह इस हरियाली को देखकर अभिभूत हो गया. यह सच है कि आप यदि इस समय बिहार के गांवों में जायें, तो मक्के की खेती देखकर अापका मन भी प्रसन्न हो जायेगा. खासकर बिहार के सबसे गरीब जिले, जैसे- कटिहार, पूर्णिया, किसनगंज, अररिया, आदि में भी हाल के दिनों में मक्का रखने के...

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किसी भी राशन दुकान से अनाज ले सकेंगे उपभोक्ता, PDS सिस्टम में होगा सुधार

नई दिल्ली। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन चोरी रोकने और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर अनाज वितरण के लिए तकनीक के इस्तेमाल से कई फायदे मिल रहे हैं। आने वाले वक्त में समूचा तंत्र दुरुस्त होने पर उपभोक्ताओं को किसी भी राशन दुकान से अनाज खरीदने की छूट भी मिलेगी।   राशन प्रणाली में सुधार विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कई मुद्दों पर सभी राज्यों ने आम सहमति जताई। समूची...

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बीमार स्वास्थ्य तंत्र का निदान-- राजू पांडेय

विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...

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अंतहीन कृषि संकट से कैसे उबरें-- देविन्दर शर्मा

देश का 'अन्न का कटोरा' कहा जाने वाला पंजाब कई विरोधाभासों का सामना कर रहा है। जबसे हरित क्रांति की शुरुआत हुई, पंजाब ने साल दर साल रिकॉर्ड स्तर पर अतिरिक्त अनाज का उत्पादन किया, फिर भी यह वर्षों से किसान आत्महत्या के कारण कब्रगाह में तब्दील हो गया है। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा, जब पंजाब के अखबारों में किसान आत्महत्या की खबर न छपती हो। पंजाब राष्ट्रीय...

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