देश के शिक्षा-संबंधी सभी अध्ययन और सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि छात्रों का स्तर अपेक्षा से नीचे है. इस स्थिति के लिए आम तौर पर शिक्षकों को दोषी ठहरा दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे विद्यालयों का इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था बेहद लचर है. देश में एक लाख से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. अधिकतर विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात...
More »SEARCH RESULT
हमने बदल डाली है यह धरती- मार्टिन रीस
यह धरती साढ़े चार अरब साल पुरानी है और अगर इसकी शुरुआत से किसी दूसरे ग्रह के वासी इसे देख रहे होंगे, तो उन्हें क्या दिखाई देगा? शुरुआती वर्षों में बदलाव क्रमिक ढंग से हुआ। महाद्वीप खिसके, बर्फ की परत कमजोर हुई, प्रजातियां बनीं, विकसित हुईं और कुछ सदा के लिए लुप्त हो गईं। पर असली बदलाव पिछले कुछ साल में हुआ। और अब भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव...
More »'बारिश का पावडर' करेगा कमाल, सूखे में भी लहलहाएगी फसल
नई दिल्ली। सूखा या बारिश की कमी के चलते हर साल फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया के बड़े हिस्से में गंभीर हो चुकी यह समस्या अब इनसान के अस्तित्व को चुनौती दे रही है। बहरहाल, वैज्ञानिकों की मानें तो रेन पावडर इसका कारगर हल हो सकता है। करीब दो साल से मैक्सिको समेत विभिन्न देशों में इस पर प्रयोग हुए हैं, जो सफल बताए गए हैं।...
More »जीएम सरसों को समिति की हरी झंडी, पर सरकारी मंजूरी बाकी
नई दिल्ली। सरकार की एक समिति ने जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को हरी झंडी दे दी है। लेकिन अभी इसका रास्ता साफ नहीं हुआ है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से इसे अब तक मंजूरी नहीं दी गई है। वह ऐसी फसल के जैव सुरक्षा पहलुओं पर समिति की ओर से की गई सिफारिशों को लेकर जनता की राय लेगी। इसके बाद यह...
More »बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र
हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
More »